पंजाब के मनसा जिले के कोटली कला गांव के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह अग्निवीर योजना के तहत भारतीय सेना में शामिल हुए थे। वह जम्मू-कश्मीर के राजौरी में तैनात थे। लेकिन 11 अक्टूबर को उन्होंने अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली| एक रिपोर्ट के अनुसार अमृतपाल सिंह का शव 13 अक्टूबर, 2023 को उनके गांव लाया गया, लेकिन अब विरोधियों ने इसे लेकर अग्निवीर योजना की आलोचना की है| दावा किया जा रहा है कि अग्निवीर योजना के तहत आने वाले जवानों को पहले जैसी सुविधाएं और सम्मान नहीं मिल रहा है| क्योंकि, अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार सरकारी समारोह में नहीं किया गया। साथ ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया गया| इस बारे में भारतीय सेना ने सफाई दी है|
“अग्निवीर अमृतपाल सिंह की आकस्मिक मृत्यु के बारे में गलत सूचना और गलत बयानी की जा रही है। जहां 11 अक्टूबर को उनकी मृत्यु हो गई, वहीं 14 अक्टूबर को व्हाइट नाइट पुलिस ने उनकी मृत्यु के संबंध में विस्तृत जानकारी दी है, ”भारतीय सेना ने माइक्रो-ब्लॉगिंग सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया।
भारतीय सेना ने एक्स में कहा है कि ”अमृतपाल सिंह द्वारा खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने से उनके परिवार और भारतीय सेना को भारी नुकसान हुआ है| भारतीय सेना के नियमों के अनुसार, चिकित्सीय परीक्षण के बाद शव को सेना की अभिरक्षा में अमृतपाल सिंह के घर ले जाया गया। भारतीय सेना अग्निपथ योजना के बाद शामिल हुए सैनिकों और अग्निपथ योजना से पहले शामिल होने वाले सैनिकों के बीच भेदभाव नहीं करती है। उन दोनों को समान सुविधाएं और सम्मान दिया जाता है, भारतीय सेना ने समझाया।
1967 के सैन्य आदेश के अनुसार, आत्महत्या करने वाले भारतीय सैनिकों के शवों का राजकीय अंत्येष्टि में अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता है। 2001 से अब तक 100 से 140 जवानों ने आत्महत्या की है|हालाँकि, उनका भी राजकीय समारोह में अंतिम संस्कार नहीं किया गया है। दाह-संस्कार हेतु तत्काल आर्थिक सहायता, पात्रतानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है, यह भी इस अवसर पर कहा गया।
इजरायल पर हमास के हमले का अमेरिका पर असर? बच्चे पर चाकू से किया वार!