केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में भारतीय न्यायिक संहिता (दूसरा संशोधन) (एनबीएस-2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (दूसरा संशोधन) (बीएनएसएस-2023) और भारतीय साक्ष्य (दूसरा संशोधन) (बीएस-2023) नामक तीन विधेयक पेश किए। इसे मंजूरी दे दी गई| इसके बाद राष्ट्रपति ने भी इन कानूनों पर अपनी सहमति दे दी| हिट एंड रन मामले में इस प्रावधान का देशभर में विरोध हुआ था| इस प्रावधान पर पुनर्विचार के लिए एक समिति का गठन किया गया है| इससे पहले केंद्र सरकार ने शनिवार (24 फरवरी) को ऐलान किया था कि ये तीनों कानून 1 जुलाई से देश में लागू हो जाएंगे|
ये तीनों विधेयक क्रमशः ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) (1882) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे।तीनों संशोधित कानूनों को पिछले शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा ने मंजूरी दे दी थी। साथ ही 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इन कानूनों पर अपनी सहमति दे दी| पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इन कानूनों को केंद्र शासित प्रदेशों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा|
आपराधिक कानून बदलेंगे, डंडेली पुलिस का क्या?: केंद्र सरकार देश भर में 3000 अधिकारियों की नियुक्ति करेगी। ये अधिकारी नए कानून के प्रावधानों पर पुलिस, जांच अधिकारियों और फोरेंसिक विशेषज्ञों का मार्गदर्शन करेंगे। यह प्रशिक्षण देशभर में विभागीय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। ऑनलाइन साक्ष्य भंडारण का चंडीगढ़ का मॉडल देश को बताया जाएगा।
नए भारतीय न्यायिक संहिता अधिनियम के मुताबिक, अब राजद्रोह की धारा लगाई जाएगी। पुराने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में राजद्रोह को सरकार के खिलाफ एक कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया था। लेकिन बीएनएस में इसे देशद्रोह में बदल दिया गया है| सरकार की आलोचना तो कोई भी कर सकता है, लेकिन जो कोई भी देश की सुरक्षा-अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य या टिप्पणी करेगा, वह इस धारा के तहत अपराधी होगा।
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