ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया है|कांग्रेस के. सुरेश भी इस पद की दौड़ में थे|हालांकि ध्वनि मत से ओम बिड़ला को चुन लिया गया|इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने इस चुनाव पर आपत्ति जताई है|हॉल से बाहर आकर मीडिया से बातचीत के बाद तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी ने भाजपा की आलोचना की है|
बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष को लेकर तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, के.सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस संबंध में हमसे संपर्क नहीं किया गया है| इसलिए दुर्भाग्य से यह एकतरफा निर्णय है।
अभिषेक बनर्जी ने कहा, नियमों के अनुसार, अगर सदन का कोई भी सदस्य मत विभाजन की मांग करता है तो अस्थायी अध्यक्ष को इसकी अनुमति देनी चाहिए| संसद के लाइव टीवी फुटेज में, आप विपक्षी सदस्यों को विभाजित वोट की मांग करते हुए देख सकते हैं। वोटिंग के लिए प्रस्ताव की मांग की गई| हालांकि, बिना किसी प्रस्ताव पर मतदान कराए ध्वनिमत से मतदान कराया गया। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा के पास संख्या बल नहीं है। यह सरकार बिना संख्या बल के चल रही है| यह एक अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक सरकार है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार ओम बिरला को लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को ध्वनि मत से मंजूरी दे दी गई। कांग्रेस ने भी इस दौड़ में के.सुरेश को रखा गया| लेकिन, कोई मतभेद न होने के कारण विपक्ष ने इसकी जमकर आलोचना की है| लेकिन, सत्ता पक्ष का आरोप है कि विपक्ष ने मत विभाजन के लिए दबाव नहीं डाला है| अभिषेक बनर्जी ने कहा कि, यदि 500 में से एक भी मत विभाजन की मांग करता है तो मत विभाजन तो करना ही पड़ेगा। यही नियम है| इसलिए, अंतरिम अध्यक्ष को यह खुलासा करना होगा कि वोटों का विभाजन क्यों खारिज कर दिया गया।
तृणमूल ने किया कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध: लोकसभा अध्यक्ष की उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए, तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, के.सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। हालांकि, कांग्रेस को के. सुरेश को नामांकित करने से पहले तृणमूल कांग्रेस पार्टी से परामर्श करना चाहिए था। हालांकि, कोई चर्चा नहीं हुई। इस संबंध में हमसे संपर्क नहीं किया गया है| कोई चर्चा नहीं हुई| इसलिए दुर्भाग्य से यह एकतरफा निर्णय है।
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