जम्मू-कश्मीर की सियासत एक बार फिर पानी पर गर्मा गई है। इस बार मुद्दा है तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट का, जिसे लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बीच तीखी ज़ुबानी जंग छिड़ गई है। दोनों नेताओं ने इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को लेकर एक-दूसरे की मंशा और देशभक्ति तक पर सवाल खड़े कर दिए।
गुरुवार (15 मई)को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए तुलबुल परियोजना को दोबारा शुरू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट न केवल झेलम नदी पर जल परिवहन को बढ़ावा देगा, बल्कि सर्दियों में नीचे के इलाकों में पनबिजली उत्पादन को भी बेहतर बनाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत ने हाल ही में पहल्गाम आतंकी हमले के बाद इंडस जल संधि को निलंबित कर दिया है, तो अब इसे फिर से शुरू करने का सही समय है।
The Wular lake in North Kashmir. The civil works you see in the video is the Tulbul Navigation Barrage. It was started in the early 1980s but had to be abandoned under pressure from Pakistan citing the Indus Water Treaty. Now that the IWT has been “temporarily suspended” I… pic.twitter.com/MQbGSXJKvq
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 15, 2025
लेकिन महबूबा मुफ्ती को यह रुख रास नहीं आया। उन्होंने शुक्रवार (16 मई)को जवाब देते हुए इसे “खतरनाक और उकसावे वाला बयान” करार दिया। उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का तुलबुल नेविगेशन परियोजना को पुनर्जीवित करने का आह्वान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से वापस लौटे हैं – जिसमें जम्मू-कश्मीर निर्दोष लोगों की जान, व्यापक विनाश और अपार पीड़ा के माध्यम से इसका खामियाजा भुगत रहा है, ऐसे बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी हैं। हमारे लोग देश के किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह शांति के हकदार हैं। पानी जैसी आवश्यक और जीवन देने वाली चीज़ को हथियार बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि द्विपक्षीय मामले को अंतर्राष्ट्रीय बनाने का जोखिम भी है।“
J&K Chief Minister Omar Abdullah’s call to revive the Tulbul Navigation Project amid ongoing tensions between India & Pakistan is deeply unfortunate. At a time when both countries have just stepped back from the brink of a full-fledged war—with Jammu and Kashmir bearing the brunt… https://t.co/LZrVAhIukQ
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) May 16, 2025
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तुरंत पलटवार करते हुए महबूबा के बयान को “सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और सरहद पार बैठे कुछ लोगों को खुश करने की भूख” बताया। उन्होंने दो टूक कहा, “आप यह मानने को तैयार ही नहीं हैं कि इंडस जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के साथ सबसे बड़ा ऐतिहासिक विश्वासघात है।”
उमर ने जोर देकर कहा कि वे इस संधि के हमेशा खिलाफ रहे हैं और रहेंगे। “एकतरफा और अन्यायपूर्ण संधि का विरोध करना किसी भी रूप में युद्ध को उकसाना नहीं है। यह तो केवल एक ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की कोशिश है, जिसने हमारे लोगों से अपने संसाधनों पर उनका हक छीन लिया।”
Actually what is unfortunate is that with your blind lust to try to score cheap publicity points & please some people sitting across the border, you refuse to acknowledge that the IWT has been one of the biggest historic betrayals of the interests of the people of J&K. I have… https://t.co/j55YwE2r39
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 16, 2025
तथ्य यह है कि तुलबुल परियोजना को 1980 के दशक में शुरू किया गया था लेकिन पाकिस्तान के दबाव और इंडस जल संधि के प्रावधानों के चलते इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब, हाल के घटनाक्रमों और भारत द्वारा इस संधि को निलंबित करने के बाद, इसे दोबारा जीवित करने की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
उमर इसे रणनीतिक अवसर बता रहे हैं, जबकि महबूबा इसे शांति के रास्ते में रोड़ा। इस विवाद से एक बार फिर साफ हो गया है कि जम्मू-कश्मीर में नीतिगत मसलों पर भी सियासी खेमेबंदी उतनी ही गहरी है जितनी चुनावी रैलियों में दिखाई देती है। लेकिन इस बार पानी सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं, बल्कि अधिकार और अस्तित्व का सवाल बन चुका है।



