बिहार और देश की राजनीति में नीतीश कुमार का नाम लिया जाएगा तो यह लिखा जाएगा कि सत्ता सुख के लिए एक बार नहीं बल्कि छह बार ( अभी आधिकारिक तौर पर आरजेडी कांग्रेस से अलग नहीं हुए हैं ) पलटी मार चुके है। वैसे, नीतीश कुमार के अलावा भी कुछ ऐसे नेता हैं जो बार बार मन बदलते रहे और सत्ता का सुख भोगते रहे।
नीतीश कुमार
नीतीश कुमार, वर्तमान में आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के सहयोग से सरकार चला रहे हैं। लेकिन, कुछ समय से यह खबर सुर्खियां बटोर रही है कि नीतीश कुमार अब बीजेपी के साथ जाने वाले हैं। इस बार भी वे मुख्यमंत्री बनाये जाएंगे, जबकि बीजेपी की ओर से दो उप मुख्यमंत्री बनाये जा सकते हैं। हालांकि, अभी इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन, बिहार की राजनीति में तीन दिन से जबरदस्त उठापटक देखा जा सकता है।
नीतीश कुमार ने 10 साल में छह बार पाला बदल चुके हैं। नीतीश कुमार ने सबसे पहली बार 2013 में पलटी मारी थी। तब नीतीश कुमार बीजेपी के सहयोग से बिहार में मुख्यमंत्री थे। इसके बाद उन्होंने पलटी मारकर आरजेडी ( राष्ट्रीय जनता दल) के साथ चले गए। इसके बाद तो नीतीश कुमार इसके आदी हो चुके है। जब उनका मन बदलता है कपडे की तरह राजनीति पार्टी बदल लेते हैं। इसी वजह से एक बार फिर नीतीश कुमार चर्चा में हैं। नीतीश कुमार के 10 साल में पलटी मारने से 50 से अधिक विधायक मंत्री बन चुके हैं ,चार स्पीकर और तीन डिप्टी सीएम की कुर्सी तक पहुंचे हैं।
राम विलास पासवान
नीतीश कुमार की तरह राम विलास पासवान भी पलटी मारने में माहिर थे। उन्हें तो राजनीति का मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था। राजनीति के हवा का रुख बदलते ही वे राजनीति हवा के बहाव में निकल लेते थे। उन्होंने भी अपने राजनीति करियर में छह बाद दलबदल किया है। उन्होंने अपनी राजनीति करियर की शुरुआत 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से की थी। यहां कुछ समय रहने के बाद 1974 में लोकदल में आ गए। इसके बाद उन्होंने जनता पार्टी , जनता दल और अब जनता दल युनाइडेट के मुखिया के तौर पर जाने जाते हैं।
इसके बाद उन्होंने 2000 में अपनी राजनीति पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। पासवान ऐसे नेता है जो केंद्र में वीपी सिंह, एचडी देवगौड़ा, आइके गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल रहे हैं। बताया जाता है कि पासवान को 2005 में बिहार का मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला था, लेकिन राजनीति दांवपेंच में मात खा गए।
जीतन राम मांझी
इसी तरह से जीतन राम मांझी में नीतीश कुमार, पासवान की ही कैटेगरी में आते हैं। 9 साल में उन्होंने 7 बार पलटी मारी है। मांझी 2015 में जेडीयू से नाता तोड़ने के बाद खुद की पार्टी बनाई और बीजेपी समर्थिक एनडीए का हिस्सा बन गए। इसके बाद मांझी 2017 में एनडीए से अलग होने के बाद कांग्रेस समर्थित गठबंधन यूपीए में शामिल हो गए। 2019 के लोकसभा चुनाव उनकी पार्टी 40 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन एक भीजीत नहीं पाए. फिर नीतीश के सहारे एनडीए में आ गए।
इसके बाद 2020 में सात विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने पर उन्हें 4 सीटों पर जीत नसीब हुई। इसके बाद जब नीतीश 2022 में एनडीए से अलग हुए मांझी भी अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया। पर कुछ दिन के बाद वहां से अलग हो गए और अब वे एनडीए के साथ हैं।
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