उद्धव ठाकरे ने मोदी से मानी MVA जाने की गलती, केसरकर का बड़ा खुलासा

दिल्ली में मोदी से मिलने के बाद आप यहां वादा करके आए थे कि मैं महाराष्ट्र जाते ही इसे ठीक कर दूंगा। आपने हिंदुत्व के विचार को त्यागने की गलती की है| दीपक केसरकर ने यह खुलासा मुंबई में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा|

उद्धव ठाकरे ने मोदी से मानी MVA जाने की गलती, केसरकर का बड़ा खुलासा

Uddhav Thackeray accepted Modi's mistake of going to MVA, Kesarkar's big disclosure

शिंदे समूह के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने उद्धव ठाकरे पर एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि आपने स्वयं प्रधानमंत्री के सामने स्वीकार किया था कि कांग्रेस, एनसीपी के साथ जाना आपकी गलती थी, आपने हिंदुत्व के विचार को त्यागने की गलती की है| दीपक केसरकर ने यह खुलासा मुंबई में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा|
किसी ने धोखा नहीं दिया ​: ​केसरकर, उद्धव ठाकरे ​पर हमलावर होते हुए कहा कि ​हमने​ ​बार-बार ​बोला​, कांग्रेस एनसीपी से आज भी गठबंधन तोड़ दो, हम सब आपके साथ हैं। उसके कारण ​​किसी ने तुम्हें धोखा नहीं दिया। इसके उलट आपने खुद कहा कि आप सब चले जाइए और अब आप जनता को कह रहे हैं यह​ ​तो गलत है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर हमला करते हुए कहा कि लोगों को तथ्य बताएं।
अगर कांग्रेस और एनसीपी कोंकणी के लोगों के साथ अन्याय करने जा रहे हैं और आप उस पर आंख मूंदने जा रहे हैं, तो हमें लोगों के साथ खड़ा होना होगा। आदित्य ठाकरे को बचपन से ही बक्सों से खेलने की आदत है। हम बक्सों से खेलने के आदी नहीं हैं।
जनता के सवाल पर आवाज उठाई ​: हम विधायक बने क्योंकि हम लोगों के साथ रहे। हम विधायक इसलिए बने क्योंकि हमने ​​जनता के सवाल पर आवाज उठाई। दिल्ली में मोदी से मिलने के बाद आप यहां वादा करके आए थे कि मैं महाराष्ट्र जाते ही इसे ठीक कर दूंगा। लेकिन अगर आपने यहां आकर उस शब्द को तोड़ा है तो मुझे लगता है कि महाराष्ट्र के लोगों को भी समझना चाहिए कि किसने किसको धोखा दिया है। कांग्रेस और एनसीपी ने उद्धव ठाकरे को धोखा दिया है।
उद्धव ठाकरे के गांव में होने वाली बैठक पर उन्होंने कहा, सभी की बैठकें बड़ी होती हैं| इस सरकार ने कोंकण के लिए जो फैसले लिए, वो पिछली सरकारों ने कभी नहीं लिए। ढाई साल तक उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री रहे। राज्य मंत्री के रूप में मैं स्वयं उस समिति का अध्यक्ष था जो काजू नीति से पूरे कोंकण को बदलने जा रही थी। इसी रिपोर्ट पर कोंकण को साढ़े तेरह करोड़ दिए गए। काजू निगम की स्थापना के लिए 200 करोड़ दिए गए।
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