पिछले साल शिवसेना में हुई बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने पार्टी और महाराष्ट्र की सत्ता दोनों जगह से उद्धव ठाकरे को मात दे दी थी। जिसके बाद उद्धव ठाकरे को 29 जून, 2022 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उनके नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। इसके अगले दिन शिवसेना के बागी गुट ने भाजपा के समर्थन से नई सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया था।
हालांकि, एकनाथ शिंदे समेत 16 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा उपाध्यक्ष के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग की। एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि उपाध्यक्ष के खिलाफ पहले ही कुछ विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है, ऐसे में वे विधायकों के निलंबन पर फैसला नहीं ले सकते। करीब 9 महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उद्धव ठाकरे गुट ने जिन 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी, उनमें स्वयं एकनाथ शिंदे, भरतशेट गोगावले, संदिपानराव भुमरे, अब्दुल सत्तार, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिल बाबर, बालाजी किणीकर, तानाजी सावंत, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमूलकर और बालाजी कल्याणकर शामिल हैं।
हालांकि सवाल यह है कि एकनाथ शिंदे की यह जीत आगे भी रहेगी या नहीं, इस पर गुरुवार, 11 मई को फैसला आने वाला है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की उद्धव ठाकरे गुट की मांग पर आज फैसला सुनाएगी। वहीं अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। अगर फैसला एकनाथ शिंदे गुट के खिलाफ आता है, तो महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक संकट देखने को मिलेगा।
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