ब्रिटेन के सांसदों, पूर्व सांसदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचारों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की सरकार से मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम बांग्लादेशी सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह मांग कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश (CFOB) द्वारा आयोजित एक सेमिनार में उठाई गई, जहां बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा और यूनुस सरकार की निष्क्रियता को लेकर तीखी आलोचना की गई।
सेमिनार में बताया गया कि जब शेख हसीना की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को हटाकर यूनुस ने 5 अगस्त से 20 सितंबर 2024 के बीच अंतरिम सरकार की कमान संभाली, तब अकेले इस अवधि में हिंदुओं के खिलाफ 2,010 हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद भी यह सिलसिला जारी रहा—21 सितंबर से 31 दिसंबर 2024 के बीच 174 घटनाएं, और 1 जनवरी से 30 जून 2025 के बीच 258 घटनाएं सामने आईं। अभियानों में यह भी उजागर किया गया कि बांग्लादेश की पुलिस और सेना मौन दर्शक बनी रही, और किसी भी मामले में न्याय नहीं मिला।
यूनुस की अंतरिम सरकार ने न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया, बल्कि मीडिया की आज़ादी पर भी हमला किया। पिछले 11 महीनों में 168 पत्रकारों का पंजीकरण रद्द किया गया और 43 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया।
सेमिनार की अध्यक्षता हरो ईस्ट से सांसद बॉब ब्लैकमैन ने की, जो ब्रिटेन की प्रभावशाली 1922 समिति के अध्यक्ष हैं और CFOB के संसदीय प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है और ब्रिटेन को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हस्तक्षेप करना चाहिए।
ब्रिटिश हिंदू समुदाय के प्रतिनिधि हराधन भौमिक ने कहा, “हिंदू डर के साए में जी रहे हैं। वे अपने घरों में भी चैन से नहीं सो सकते।” उन्होंने 26 जून को कुमिला में एक हिंदू महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उसके वीडियो के सोशल मीडिया पर प्रसारित होने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल एक उदाहरण है, ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं।
ब्रिटिश बौद्ध समुदाय के बैरिस्टर प्रशांत बरुआ ने बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि हाल ही में मलेशिया में 36 बांग्लादेशी चरमपंथियों को गिरफ्तार किया गया, जो इस बात का प्रमाण है कि यूनुस सरकार कट्टरपंथ के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही।
बरुआ ने ढाका में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HUJI) के गुर्गों की बढ़ती गतिविधियों और चटगांव हिल ट्रैक्स में आदिवासी समुदाय पर लगातार हो रहे हमलों का भी उल्लेख किया। सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों—विशेषकर हिंदुओं और बौद्धों—का राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्ति किया जाना चाहिए, ताकि वे चुनावी प्रक्रिया में भाग लेकर न्याय, शांति और सांप्रदायिक सौहार्द की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
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