अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को मात्र 3 माह ही रह गए है|दुनियां में अपने शक्ति का लोहा मनवाने वाले देश के इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है|डेमोक्रेटिक पार्टी की भारतीय मूल की अमेरिकी निवासी व अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हो रहा है|इस बीच एक सर्वे के अनुसार राष्ट्रपति उम्मीदवार की प्रबल दावेदार और लोकप्रियता में ट्रंप को पछाड़ते हुए कही आगे निकलती दिखाई दे रही हैं|
कमला हैरिस ने आते ही ट्रंप को राष्ट्रपति की दौड़ में पीछे कर दिया है|ऐसा सर्वे में भी सामने आने लगा है| कमला अमेरिका की जनता का मूड भाप चुकी हैं और वे अपने बयानों और चुनाव प्रचार में उसी हिसाब से आगे बढ़ रही हैं|जो बाइडेन के पीछे हटने के बाद से ही कमला गन वायलेंस, प्रवासी, भ्रष्टाचार, व्यापार से लेकर फिलिस्तीन-यूक्रेन जैसे मुद्दों पर अपना स्टैंड जनता के सामने रख चुकी हैं|उनके बयानों से लग रहा है कि वे हर वर्ग को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही हैं|
बता दें कि ABC न्यूज और इप्सोस पोल में हैरिस की लोकप्रियता में पिछले हफ्ते के मुकाबले 8 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई है| रविवार को जारी सर्वे में 43 फीसद वोटर्स हैरिस के पक्ष में थे|बाइडेन के पीछे हटने के बाद 35 फीसद ही वोटर्स ने उनका साथ देने के संकेत दिया था|
कमला हैरिस हमेशा खुद को इजराइल का समर्थक बताती आई हैं और उनके पति डगलस एम्हॉफ एक यहूदी हैं, लेकिन इस बार कमला ने नेतन्याहू से मुलाकात के बाद अपने बयान में हमास को बुरा कहते कहते ये भी कह दिया कि गाजा के हालात से हम मुंह नहीं मोड़ सकते|कमला ने अपने बयान में कहा कि वो सुरक्षित इजराइल के साथ-साथ एक आजाद फिलिस्तीन देखना चाहती हैं|
अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार सौरभ कुमार शाही कहते हैं कि कमला हैरिस फिलिस्तीन मुद्दे पर ‘गुड कॉप-बैड कॉप’ वाला खेल रही हैं| उन्होंने बताया कि जो बाइडेन बैड कॉप प्ले कर रहे थे तो कमला हैरिस गुड कॉप प्ले कर रही हैं| गुड कॉप से अर्थ ये है कि वे बातें तो ऐसी बोल रही हैं जो लुभावनी लगे, लेकिन जब तक उसका असर ग्राउंड पर न दिखे| तब तक इसका असर दिखना मुश्किल हैं| क्योंकि ये चीज अमेरिका के वोटर्स भी समझते हैं और वे स्मार्ट है, उनको बातों में लेना आसान नहीं है|”
कहा जाता है कि अमेरिका के चुनाव को मुख्य रूप से 3 लॉबी कंट्रोल करती हैं- ड्रग इंडस्ट्रीज, इजराइल लॉबी और गन इंडस्ट्रीज|अमेरिका में साल में ऐसे कई मामले आते हैं, जिसमें मास शूटिंग में दर्जनों नागरिकों की मौत हो जाती है| अमेरिका में गन लेना इतना ही आसान है जितना भारत में कार और बाइक लेना|बस एक लाइसेंस और टेस्ट, लो आपके पास आ गई गन|जब भी कोई मास शूटिंग का मामला आता है, तो अमेरिका में बंदूकों के आम इस्तेमाल पर रोक लगने की मांग उठती है|
इतिहास पर नजर डालें तो डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता भी इस मुद्दे को छूने से बचते रहे हैं|गन मैन्युफैक्चरर ही नहीं बल्कि अमेरिका के कई स्टेट की जनता भी गन रखने की बहुत हिमायती है|गन रखना अमेरिका के कल्चर में शुमार हो गया है| कमला के ऐसे बयान उनका नुकसान भी कर सकते हैं|
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