उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा मार्ग पर होटलों या खाने-पीने की दुकानों और ठेलों पर उत्तर प्रदेश सरकार ने संबंधित मालिक के नाम का बोर्ड लगाने का फैसला किया था| इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी| इस याचिका पर आज सुनवाई हुई| इस बार सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है|कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों द्वारा दुकान पर संबंधित मालिक के नाम का बोर्ड लगाने का निर्णय स्थगित कर दिया गया है।कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी यह भी की है कि दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है|
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कावड़ मार्ग पर दुकानों या ठेलों पर संबंधित मालिक का नाम लिखना अनिवार्य करने का फैसला किया था| हालांकि, विपक्ष ने इस फैसले की आलोचना की| सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का दौर जारी रहा| मांग की जा रही थी कि कांवड़ मार्ग पर दुकानों या ठेलों पर संबंधित मालिक का नाम लिखने का फैसला वापस लिया जाए, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस फैसले पर अड़ी रही|
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसा फैसला लेने के लिए कदम उठाया| हालांकि, अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है| उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक संगठन ने 20 जुलाई को याचिका दायर की थी| इस याचिका पर आज सुनवाई हुई| इस समय सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका देते हुए कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के नाम के बोर्ड लगाने के फैसले पर रोक लगा दी है|
कोर्ट ने क्या कहा?: इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य के साथ-साथ दो राज्यों उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को भी इस संबंध में नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने अब इस मामले में उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को अगले शुक्रवार तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है| इसके अलावा, कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं या होटल व्यवसायियों को अपनी पहचान बताने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इसलिए दुकान मालिकों को अपना नाम लिखने की जरूरत नहीं है। लेकिन दुकानदार के पास सिर्फ खाने का प्रकार ही होता है कि दुकान मांसाहारी खाना परोसती है या मांसाहारी? निगरानी अदालत ने कहा कि इस संबंध में कहना जरूरी है|
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