48 वर्षीय माहेश्वरी के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उस पर दो भाजपा नेताओं, ब्रह्म दत्त द्विवेदी और कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप है। माहेश्वरी को 1997 में द्विवेदी की हत्या में दोषी पाया गया था, जबकि 2005 में उन्हें राय की हत्या के मामले में बरी कर दिया गया था। ब्रह्म दत्त द्विवेदी को 1995 में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को गेस्ट हाउस घोटाले से बचाने में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। मायावती जब अपने विधायकों के साथ एक गेस्ट हाउस में ठहरी हुई थी, तभी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया|
मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले संजीव माहेश्वरी ने 2017 में राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर यथिकाना से चुनाव भी लड़ा था. लेकिन वह चुनाव हार गए। माहेश्वरी की पत्नी पायल हैं और उनके तीन बेटे और एक बेटी है। पुलिस के मुताबिक, संजीव माहेश्वरी 24 मामलों में अपराधी था। इनमें से 17 में उन्हें बरी कर दिया गया था। माहेश्वरी के खिलाफ मुजफ्फरनगर, शामली, हरिद्वार और फर्रुखाबाद में हत्या, अपहरण, रंगदारी, डकैती जैसे गंभीर अपराध दर्ज हैं| संजीव माहेश्वरी आपराधिक दुनिया में कदम रखने से पहले सामान्य जीवन जी रहा था। वह मुजफ्फरनगर में एक डॉक्टर के यहां कंपाउंडर का काम करता था।
बुधवार को विजय यादव नाम का हत्यारा वकील के भेष में लखनऊ की कोर्ट में पेश हुआ| माहेश्वरी में गोली मारने के बाद विजय यादव को अन्य वकीलों ने पकड़ लिया और पीट-पीट कर मार डाला। इस पिटाई में विजय यादव गंभीर रूप से घायल हो गया। माहेश्वरी में गोली लगने से एक महिला व एक पुलिस कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गये. इस बीच भार कोर्ट में फायरिंग से आक्रोशित वकीलों ने पुलिस वाहन पर पथराव कर दिया. इसलिए पुलिस को अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा।
दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य की 2019 की हत्या के मामले में सह-आरोपी मुख्तार अंसारी, उनके भाई अफजाल अंसारी के साथ संजीव माहेश्वरी को बरी कर दिया। सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया गया क्योंकि मामले के सभी चश्मदीद गवाह और महत्वपूर्ण गवाह इसके खिलाफ गए थे। राय मोहम्मदाबाद निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे, उन्होंने 2002 के विधानसभा चुनाव में अफजल अंसारी को हराया था। 29 नवंबर 2005 को विधायक राय और उनके साथ छह लोगों की हत्या कर दी गई थी| राय के वाहन पर कुछ हमलावरों ने स्वचालित व अन्य हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की।
दोस्तों आपको बता दें कि भाजपा विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी ने मायावती को गेस्ट हाउस घोटाले से बचाने में मदद की थी| 2 जून 1995 को मायावती ने बसपा-सपा गठबंधन तोड़ने का फैसला किया था|इससे पहले दोनों दल 1993 से एक साथ सत्ता में थे। लेकिन गठबंधन से बाहर होने के कारण समाजवादी पार्टी को सत्ता से दूर होना पड़ा। बताया जाता है कि यह हमला समाजवादी पार्टी ने गुस्से में आकर किया था। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उस गेस्ट हाउस को घेर लिया जहां मायावती अपने विधायकों के साथ ठहरी हुई थीं। उस वक्त भाजपा विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी ने मायावती को सकुशल बाहर निकालने में मदद की थी| उन्होंने इस घटना की जानकारी अटल बिहारी वाजपेयी को भी दी थी| भाजपा ने मायावती को राज्यपाल तक पहुंचाने में मदद की और उन्हें विधायकों का समर्थन दिया| अगले दिन मायावती ने फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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