राज्यसभा चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आया हुआ है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। राज्यसभा चुनाव की क्रॉस वोटिंग में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन जीत मिली हैं। इस चुनाव से कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। इसके उन्होंने कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर जमकर निशाना साधा।
बता दूँ कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा नेता तेजिंदर सिंह बग्गा ने अपने ट्वीट में कहा है कि विक्रमादित्य सिंह, कट्टर सनातनी हैं। वही एक ऐसे कांग्रेसी नेता है जो अयोध्या के राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए थे, जबकि शीर्ष कांग्रेसी नेतृत्व अयोध्या नहीं पहुंचा था। यही नहीं प्रदेश सिंह के साथ उनके साथी विधायक सुधीर शर्मा ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया था।
गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद प्रदेश कांग्रेस दो धड़ों में बटती दिखाई दे रही है। चुनाव के बाद से ही प्रदेश में कांग्रेस के दो गुट नजर आ रहे थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एक बड़ा समर्थकों का गुट है, तो दूसरा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का है। वीरभद्र सिंह के समर्थक विधायकों को उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह कमान संभाले हुई हैं।
सीएम सुक्खू से नाराज विक्रमादित्य सिंह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कांग्रेस विधायकों के साथ अनदेखी की गई। नतीजा, कांग्रेस के कई विधायक उनसे नाराज हैं। उधर, कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला भेजा है। ये दोनों नेता, नाराज विधायकों से बात कर रहे हैं।
राजनीति विश्लेषकों की माने तो राज्यसभा चुनाव ने पहाड़ की राजनीति गणित को ही बदल दिए हैं।प्रदेश की क्रॉस वोटिंग राजनीति नए आयाम गढ़ते दिखाई दे रहे हैं। वही, सुक्खू सरकार पर ‘ऑपरेशन लोटस’ का खतरा भी मंडराने लगा है। प्रदेश में भाजपा के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा सरकार अल्पमत में है। आर्थिक विधेयक बिल को विधानसभा में वोटिंग के आधार पर पास नहीं किया गया। केवल ऑर्डिएन्स नोट के आधार पर इसे पास करना पड़ा। पार्टी लाइन से हटकर कांग्रेस के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं।
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