देश भर में बसंत पंचमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से बुद्धि और ज्ञान का फल मिलता है। माता को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिए, बंसत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। इस दिन शिक्षा आरम्भ का भी विधान है। इस दिन को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी का त्योहार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचंमी तिथि को मानाया जाता है। पंचांग गणना के अनुसार पंचमी तिथि 05 फरवरी को प्रातः 03 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 06 फरवरी को 03 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। बसंत पंचमी का पूजन 05 फरवरी को ही किया जाएगा। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट है। इसके आलावा इस दिन राहुकाल सुबह 9 बजकर 51 मिनट से प्रात:11 बजकर 13 मिनट तक है।
ज्योतिष के अनुसार बसंत पंचमी का दिन सभी शुभ कार्यो के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है। बसंत पंचमी के दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा की जा सकती है। यही कारण है कि विद्यालयों में छात्र दोपहर के बाद ही धूम-धाम से माता सरस्वती की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। बसंत पंचमी के दिन देश के कई हिस्सों में बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है।
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