आचार्य चाणक्य की नीति हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। चाणक्य की कुछ नीतियां यहां बता रहे जो सबके लिए हितकर। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों सात लोगों के नाम सुझाये हैं। उनके बारे में आचार्य चाणक्य कहते है कि अगर ये लोग सो रहे हैं तो उन्हें जगा देना चाहिए। उसी तरह सात लोगों को सोते समय न जगाने की हिदायत भी दी है। आइये जानते हैं वे सात लोग कौन-कौन हैं। बता दें आचार्य चाणक्य महान शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ थे। चाणक्य की लिखी बातें आज भी प्रासंगिक हैं।
संसार में विद्वान् ही प्रशंसित होता है, विद्वान् ही सब स्थान में आदर पाता है, विद्या ही से सब कुछ मिलता है, विद्या ही सब स्थानों में पूजित होती है। बिना गंध के टेसू के फूल की भाँति सुन्दरता और जवानी से युक्त और बड़े कुल में उत्पन्न होकर भी विद्याहीन मनुष्य अच्छे नहीं माने जाते हैं। विद्यार्थी, सेवक, पथिक, भूख से पीड़ित, भय से कातर, भंडारी और द्वारपाल, ये सात यदि सोते भी हों तो जगा देना चाहिए।
सांप, राजा, व्याघ्र, बरैया, बालक, दूसरे का कुत्ता और मूर्ख, ये सात सोते हों, तो इन्हें नहीं जगाना चाहिए। मांस-भक्षण और मदिरापान करने वाले, निरक्षर और मूर्ख पुरुषाकार पशुओं के भार से पृथ्वी पीड़ित रहती है। यज्ञ यदि अन्नहीन हो तो राज्य को, मन्त्रहीन हो तो ऋत्विजों को और दानहीन हो तो यजमान को जलाता है। इस कारण यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं है।आकाश में न तो दूत जा सकता है, न वार्ता की चर्चा ही चल सकती है, न पहले से ही किसी ने कह रक्खा है, न किसी से संगम हो सकता है, ऐसी दशा में द्विजवर आकाश में स्थित सूर्य-चन्द्रमा के ग्रहण को स्पष्ट जानता है, वह कैसे विद्वान नहीं है।