अकसर देखा जाता है कि पूजा के समय किसी को भी जम्हाई या नींद आने लगती है। आखिर ऐसा क्यों होता है। इतना ही नहीं पूजा पाठ करते समय कई लोगों के आँखों से आंसू निकलने लगते हैं। हालांकि यह सामान्य प्रक्रिया है ,लेकिन शास्त्रों में इसका उल्लेख किया गया गया है। तो आइये आज जानते है इसका क्या रहस्य है।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि सच्चे मन से की गयी पूजा हमेशा भगवान स्वीकार करते है और अगर कभी पूजा के समय किसी को जम्हाई या नींद आने लगती है तो इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति के मन में दोहरी विचारधारा मौजूद है.. जिसकी वजह उसके मन में कई तरह के विचार उमड़ रहे है। यही कारण भी है कि विचारों का अंतर्द्वंद आपके मन को कभी चैन नहीं मिलने देगा और इसलिए आप किसी परेशानी में होकर भगवान की पूजा या अराधना करते हैं तो आपको जम्हाई या फिर नींद आने लग जाती है।
वहीं, अगर आपको पूजा पाठ करते समय आँखों से आंसू निकल आए तो जान लें कि इसका अर्थ यह है की कोई ईश्वरीय शक्ति आपको कुछ संकेत देना चाह रही है। दरअसल, जब आप भगवान के किसी भी रूप का ध्यान और उनकी पूजा में लीन हो जाते है तो इसका यह अर्थ है कि भगवान के उस रूप के साथ आपका कनेक्शन हो गया है या कह सकते है की आपके द्वारा की गयी पूजा सफल हो गयी है, जो आपकी खुशी को आंसू के रूप में छलका रही होती है। वहीं, कई बार यह भी कहा जाता है की पूजा के समय आँखों से आने वाले आंसू या फिर उबासी का एक कारण नकारात्मकता भी होती है। बता दें कि जब कभी हमारा मन पूजा पाठ, धार्मिक ग्रंथो और आरती में न लगे साथ ही शरीर भारी होने लगे तो ऐसे में आपको समझ जाना चाहिए की कोई ना कोई नेगेटिव एनर्जी आपके आस-पास ज़रूर मौजूद है।
जिस क्रिया की बात हम करने जा रहे हैं वह है छींक की. हर इंसान छींकता है और छींक आना बहुत ज़रूरी भी है, क्योंकि यह हमारे शरीर से गंदगी को निकाल बाहर करता है। देखा जाए तो किसी भी काम को करने से पहले अगर किसी को छींक आ जाती है तो उसे हम शुभ या अशुभ मानकर बैठ जाते हैं। किसी भी धार्मिक स्थान या पूजा स्थान पर नहीं छींकना चाहिए। सत्य यह भी है कि छींक पर किसी का ज़ोर नहीं चलता है क्योंकि छींक कोई समय या स्थिति देखकर नहीं आती है। बता दें कि अगर पूजा के दौरान आपको छींक आ जाती है तो इसका अर्थ यही होता है कि आप अशुद्ध हो गए हैं और इसलिए आपको तुरंत पूजा रूम से बाहर निकल जाना चाहिए और थोड़ी देर रूककर अपने मुंह-हाथ अच्छे से धोकर पूजा में बैठना चाहिए व साथ ही पूजा रूम को गंगा जल से शुद्ध कर लेना चाहिए।