सावन का दूसरा सोमवार बीत गया है। सभी चाहते हैं कि भगवान शिव की महिमा पर बानी रहे। लोग कई तरह के पूजा-पाठ कर भोलेनाथ को खुश करने में लगें हैं। आज हम भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग के बारे में बात करें जो घर में सुख -शांति लाता हैं। इसके पूजन से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है। पार्थिव शिवलिंग के पूजन से मनुष्य के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। इसके महत्त्व और पूजन विधान के बारे में भी बताएंगे।
ऐसे बनायें पार्थिव शिवलिंग: पार्थिव शिवलिंग मिट्टी , जल , भस्म , चन्दन , शहद आदि को मिश्रित (मिलाकर) करके अपने हाथों से निर्मित किया जाता है। इसके लिए छानी हुई शुद्ध मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन , शहद ,चन्दन और भस्म मिलाकर शिवलिंग का निर्माण करें. शिवलिंग की ऊँचाई 12 अंगुल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। पार्थिव शिवलिंग के पूजन से जन्म -जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। अपार शिव कृपा की प्राप्ति होती है। सावन में शिव भक्ति विशेष महत्व रखती है अत: सावन में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसकी पूजा अर्चना करना बहुत मंगलकारी माना गया है।
बता दें कि, “कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन का प्रारंभ किया था।” शिव महा पुराण में ‘विद्येश्वरसंहिता’ के 16वे अध्याय में दिए गए श्लोक “अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।” के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की बहु, पुत्र वधु जो होती है वो शिव शंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। गृह लक्ष्मी द्वारा की गई पार्थिव शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु को भी टालती है। बता दें कि, इस पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं।
शिवपुराण के अनुसार, पार्थिव पूजन से धन-धान्य, आरोग्य के साथ ही पुत्र की प्राप्ति होती है। जो दम्पति पुत्र प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं, उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए। पार्थिव लिंग के पूजन से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है।
बता दें कि, “कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन का प्रारंभ किया था।” शिव महा पुराण में ‘विद्येश्वरसंहिता’ के 16वे अध्याय में दिए गए श्लोक “अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।” के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की बहु, पुत्र वधु जो होती है वो शिव शंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। गृह लक्ष्मी द्वारा की गई पार्थिव शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु को भी टालती है। बता दें कि, इस पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं।
शिवपुराण के अनुसार, पार्थिव पूजन से धन-धान्य, आरोग्य के साथ ही पुत्र की प्राप्ति होती है। जो दम्पति पुत्र प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं, उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए। पार्थिव लिंग के पूजन से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है।