केरल के सरस्वती विद्यालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन समारोह में छात्रों द्वारा गाया गया गीत एक सामान्य देशभक्ति गीत था, जिसे कुछ मीडिया चैनलों और केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन गलत तरीके से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा हुआ बताया। स्कूल के प्रिंसिपल डिंटो के.पी. ने कहा कि गीत का शीर्षक “परमपवित्रमथामिए मन्निल भारतमबाये पूजिक्कन” है और यह मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और राष्ट्रीय गर्व व्यक्त करने के उद्देश्य से वर्षों से गाया जा रहा है। उनका कहना है कि इस गीत में ऐसा कोई शब्द नहीं है जो सांप्रदायिकता, विभाजन या राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देता हो।
विद्यालय की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि समारोह में छात्रों द्वारा गीत गाए जाने पर स्कूल, छात्र और अभिभावक गर्व महसूस कर रहे थे, लेकिन बाद में जब सदर्न रेलवे के आधिकारिक एक्स अकाउंट ने इस वीडियो को अपने हैंडल से हटाया, तो इससे स्कूल समुदाय निराश हुआ। पत्र में पूछा गया, “क्या हमारे बच्चों को देशभक्ति गीत गाने का भी अधिकार नहीं? यदि देशप्रेम को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाएगा, तो युवा मनों में राष्ट्रभाव कैसे विकसित होगा?” स्कूल का कहना है कि इस तरह के विवाद से छात्रों के मनोबल पर असर पड़ता है।

इस विवाद के बाद राज्य की राजनीति में भी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसे “असंवैधानिक” और “सांप्रदायिक एजेंडा थोपने का प्रयास” बताया था। कम्यनिस्ट मुख़्यमंत्री के अनुसार सरकारी कार्यक्रमों में ऐसा कोई गीत नहीं होना चाहिए जिसे किसी विशेष संगठन से जोड़ा जा सके। वहीं कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने रेलवे मंत्री को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने की मांग की कि छात्रों को ऐसा गीत गाने के लिए क्यों चुना गया। उनका आरोप है कि एक सार्वजनिक कार्यक्रम को राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से प्रभावित मंच में बदला गया।
विवाद बढ़ने के बाद सदर्न रेलवे ने अपने सोशल मीडिया पेज पर संशोधित पोस्ट करते हुए यह लिखा कि छात्रों ने अपने विद्यालय का गीत प्रस्तुत किया था। हालांकि, स्कूल का मानना है कि विवाद की जड़ यह है कि किसी भी देशभक्ति अभिव्यक्ति को तुरंत वैचारिक चश्मे से देखा जाने लगा है। उनका कहना है कि देशभक्ति और राजनीतिक विचारधारा को अलग-अलग समझना आवश्यक है।
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