मध्य प्रदेश के खंडवा में महादेव गढ़ के शिव मंदिर में श्रद्धालु जुट रहे हैं। मंदिर में स्थित शिवलिंग को कुण्डेश्वर महादेव ने नाम से जाना जाता है। पुजारियों के अनुसार यह शिवलिंग 12 वी शताब्दी से यहां स्थित है। लेकिन, कुछ समय पहले मुस्लिम समुदाय ने यहां अतिक्रमण कर भैंस का तबेला बना दिया था। इसके बाद हिन्दू समुदाय द्वारा अतिक्रमण हटाने की मांग उठ रही थी। जिसके मोहम्मद लियाकत पवार ने इस संबंध में एक याचिका दायर की।
मोहम्मद लियाकत पवार ने कोर्ट को बताया कि मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है। इसे हटाना चाहिए। इसके बाद पुरातत्व विभाग द्वारा इस संबंध में एक सर्वे किया गया। जिसमें इंदौर के पुरातत्व विभाग के तकनीकी सहायक डॉक्टर जीपी पांडेय ने जांच के बाद एक रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें यह बताया गया था कि यहां प्राचीन शिवलिंग स्थापित था। यह शिवलिंग 12 वीं सदी पुराना है। यह रिपोर्ट 13 फरवरी 2015 में कलेक्टर ऑफिस को दी गई थी। आज भी यहां मंदिर का एक मात्र खंभा मौजूद है। जबकि शिवलिंग का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके अलावा शिवलिंग के पास ही नंदी की भी प्रतिमा बनी हुई है। जो जर्जर अवस्था में है। वहीं पुरातत्व की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने भी माना कि संबंधित स्थान पर प्राचीन शिव मंदिर है।
बता दें कि यह शिवलिंग वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण के समय चर्चा में आया था। तब हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने सोशल मीडिया पर महादेव गढ़ की तस्वीर और एक आर्टिकल शेयर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पर के कार्य पर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि जब खंडवा के महादेव गढ़ मंदिर में स्थापित शिवलिंग का एएसआई ने जांच कर उसके ऐतिहासिक महत्त्व की जानकारी जुटाई थी तो ज्ञानवापी परिसर में स्थित शिवलिंग की जांच क्यों नहीं हो सकती है।
ये भी पढ़ें
झारखंड में भी ज्योति मौर्या जैसी कहानी, मजदूरी कर पति ने बनाया नर्स,अब….
भाजपा की ओर से रविशंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता, कहा राहुल को मांगनी चाहिए मांफी
पंकजा मुंडे का बड़ा ऐलान,”मैं लेने जा रही हूं राजनीति से ब्रेक !”