हिंदू आस्थाओं के प्रति असंवेदनशीलता दिखाने के आरोपों के बीच साहित्य अकादमी को बड़ा विरोध झेलना पड़ा है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन इस स्वायत्त संस्था ने बंगाली कवि श्रीजातो बंद्योपाध्याय को कोलकाता में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। बंद्योपाध्याय वही कवि हैं जिन्होंने अपने अभद्र कविता ‘अभिशाप (Curse)’ में “त्रिशूल पर कंडोम चढ़ाने” जैसी आपत्तिजनक पंक्तियाँ लिखी थीं।
#SahityaAkademi cordially invites you to its "Abhivyakti" programme on 25 October 2025, 2.30 pm at Sahitya Akademi's Regional Office Kolkata Auditorium.@rashtrapatibhvn @PMOIndia @gssjodhpur @Rao_InderjitS @MinOfCultureGoI @secycultureGOI @ksraosahitya @PIB_India @PIBCulture… pic.twitter.com/jQbKI73U8F
— Sahitya Akademi (@sahityaakademi) October 22, 2025
यह कार्यक्रम ‘अभिव्यक्ति’ शीर्षक से 25 अक्टूबर को कोलकाता में आयोजित होने वाला था। कार्यक्रम के ब्रोशर में श्रीजातो का नाम अतिथियों की सूची में शामिल था। इतना ही नहीं, इस सूची में टीएमसी नेता और कवि सुभाष सरकार का नाम भी था, जिन्होंने वर्ष 2015 में बीफ़ पार्टी आयोजित कर हिंदू भावनाओं का अपमान किया था।
लेकिन जैसे ही आमंत्रण पत्र सामने आया, सोशल मीडिया पर भारी विरोध शुरू हो गया। लोगों ने साहित्य अकादमी पर ‘हिंदूफोबिक’ (Hinduphobic) व्यक्तियों को मंच देने और हिंदू धर्म का अपमान करने वालों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। विरोध इतना व्यापक हुआ कि साहित्य अकादमी को कार्यक्रम रद्द करने पर मजबूर होना पड़ा।
लोगों ने साहित्य अकादमी से पूछा कि आखिर ऐसी संस्था, जो भारतीय संस्कृति और साहित्य के संरक्षण का दावा करती है, वह बार-बार हिंदू विरोधी चेहरों को मंच क्यों दे रही है? कई यूज़र्स ने लिखा कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब अकादमी ने हिंदू भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया हो।
I am SO tired of outraging about this. Each time you raise this issue, you are told @sahityaakademi is an ‘autonomous institution’ or ‘the babus did it’. 11 long years, and we continue to see the same people being platformed with the same lame excuses! @6Narendrapathak… https://t.co/KmxNOa46aX
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) October 25, 2025
दरअसल, पिछले वर्ष नवंबर में भी साहित्य अकादमी ने विवादास्पद लेखक देवदत्त पट्टनायक को एक सेमिनार ‘Indian Mythology: Memory, Retellings and Translations’ में उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था। उस वक्त भी जब लोगों ने उनके महिलाओं के प्रति अपमानजनक ट्वीट्स और हिंदू देवी-देवताओं पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियों को उजागर किया, तब अकादमी को वह कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था।
Sahitya Akademi @sahityaakademi is a serial offender
This time their guest list includes
1)Subodh Sarkar in the chair – this is the same person who ate beef in public to spite Hindus
2)Srijato who penned a line “condoms should be put on Trishuls” in his poem
Shame on Sahitya… pic.twitter.com/7aRb1fR9rG
— Sameer (@BesuraTaansane) October 25, 2025
श्रीजातो बंद्योपाध्याय बंगाल के एक कवि हैं, जो अपने अभद्र लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने मार्च 2017 में, उसी दिन जब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, फेसबुक पर अपनी कविता ‘अभिशाप’ पोस्ट की थी। उस कविता में उन्होंने लिखा था, “जब तक कब्र से औरतों को निकालकर उनके साथ बलात्कार होता रहेगा, तब तक त्रिशूल पर कंडोम चढ़ा रहना चाहिए।”
इस आपत्तिजनक पंक्ति को लेकर सिलीगुड़ी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी। कविता में उन्होंने योगी आदित्यनाथ की तुलना एक बीमारी से भी की थी, जिसे लेकर व्यापक आक्रोश हुआ था।
इस बार फिर से ऐसे व्यक्ति को आमंत्रित करना, जिसने हिंदू धार्मिक प्रतीक ‘त्रिशूल’ और संत परंपरा का अपमान किया था, साहित्य अकादमी की विचारधारा और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। लोगों का कहना है कि संस्कृति मंत्रालय के अधीन संस्था से अपेक्षा की जाती है कि वह भारतीय मूल्यों और धर्मों के प्रति सम्मानजनक रुख रखे, न कि उन्हें आहत करने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहन दे।
विरोध के बाद कार्यक्रम रद्द कर दिए जाने के बावजूद, यह प्रकरण साहित्य अकादमी की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न छोड़ता है, सवाल है की क्या यह संस्था राजनीतिक और वैचारिक पूर्वाग्रहों के प्रभाव में है?
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