शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है माता कालरात्रि अपने भक्तों को अभय और ग्रह बाधाओं को दूर करती हैं। नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए गुड़ का भोग लगाना चाहिए।क्योंकि माता देवी को गुड़ का भोग बहुत पसंद है। वहीं, माता को लाल वस्त्र पहनाना चाहिए। क्योंकि माता काल रात्रि को लाल वस्त्र अतिप्रिय है। इतना ही नहीं नवरात्र का पूजन करने वाले भक्तों को इस दिन लाल वस्त्र धारण करना चाहिए।
मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। माता के गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती है। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। एक हाथ में माता ने खड्ग (तलवार). दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है। मां की कृपा प्राप्त करने के लिए मां को गंगाजल, गंध, पुष्प, अक्षत, पंचामृत से पूजा की जाती है। मां कालरात्रि को लाल रंग की चीजें अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी अपनी कृपा बरसाती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं। मतलब जो भक्त मां के इस स्वरूप की आराधना करते हैं उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’
मंत्र-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥