महाराष्ट्र में स्थित ऊंचे-ऊंचे दुर्ग मराठों की वीरगाथा को अपने आपमें समाये हुए है।यह दुर्ग किला मराठों की वीरता, पराक्रम, साहस और संघर्ष की कहां बयान करते है। ऐसे में छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास से मुख्यतः छत्रपति के चरित्र से जुड़ा विशालगढ़ फ़िलहाल भूमि जिहाद द्वारा अतिक्रमण से जूझ रहा है।
आज विशालगढ़, जहां शिवराय ने सुरक्षा की दृष्टि से आश्रय लिया था, अतिक्रमण की चपेट में है और इस स्थान पर विभिन्न आसमाजिक कार्य हो रही हैं। यह वहीं धरती है, जहां स्वराज्य के स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज को सुरक्षित रखने के लिए बांदलवीरों ने फुलाजी प्रभु देशपांडे और बाजी प्रभु देशपांडे के साथ-साथ अपने जीवन का बलिदान दिया।
पुरातत्व विभाग के नियमों के अनुसार प्राचीन इमारते और ऐतिहासिक धरोहर जिन्हें घोषित किया जाता है वहां आप पुरातत्व विभाग के आज्ञा के बिना एक कील भी नहीं ठोक सकते। ऐसें में सरकार के नाक के नीचे जमीन का सिर्फ अतिक्रमण ही नहीं हुआ है, बल्कि यह समाज विघटन योजनाओं का गढ़ बनाने के पीछे असामाजिक तत्वों का हाथ भी दिखाई देता है।
इसी बात पर समाज के रोष को सरकार की कानों तक पहुंचाने हेतु महंत सुधीरदास महाराज ने सकल हिन्दू समाज के शिवभक्तों को कल (12 जुलाई) 10.00 बजे, मुंबई के आजाद मैदान में उपस्थित होने का आह्वान किया है। महंत सुधीरदास महाराज ने कहा है, इस आंदोलन के माध्यम से राज्य सरकार को विशालगढ़ पर हो रहे इस अतिक्रमण को तुरंत हटाने की मांग की जायेगी। अगर राज्य सरकार इस अतिक्रमण के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई नहीं करती है तो आंदोलन तीव्र किया जायेगा।
यह भी पढ़े:
उत्तराखंड भूस्खलन: बद्रीनाथ यात्रा पर गए पुणे के 52 यात्री तीन दिन से फंसे।