कोरोना से राहत के कारण दो साल बाद गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना के बाद 10 दिन के इस पर्व को लोगों ने हर्षोल्लास से मनाया वहीं दूसरी तरफ गणपती बप्पा की विदाई के अंतिम दिन भी सड़कों पर खूब भीड़ रही। विसर्जन के लिए धूमधाम से बप्पा की विशाल प्रतिमाओं को समुद्र तटों पर ले जाया गया।
वैसे तो हर राज्य में ये उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इस पर्व का अलग ही महत्व है। यहां बप्पा के आने के बाद से ही हर शहर हर घर में खुशी तो होती ही है, साथ ही पूरे राज्य में भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान गणेश की बड़ी-बड़ी मूर्तियां विराजमान की जाती हैं, जुलूस निकाले जाते हैं। ये खुशहाल नजारा बप्पा के विराजमान होने से लेकर विसर्जित होने तक रहता है।
आज यानी शनिवार, 10 सितंबर को सुबह 7 बजे ‘लालबाग के राजा’ का विसर्जन हुआ। मुंबई की सड़कों पर लालबाग के राजा का शाही अंदाज 23 घंटों तक दिखा। जहां-जहां से लालबाग के राजा गुजरे, वहां-वहां भक्तों की भारी भीड़ अंतिम दर्शन के लिए अपने पलके बिछाए रहे, ट्रैफिक ठहर गया था। गिरगाँव चौपाटी के समुद्र की गहराई में लालबाग के राजा की मूर्ति विसर्जित की गई। गणेश प्रतिमाओं की स्थापना अपनी मान्यता के अनुसार एक दिन से लेकर तीन दिन, पांच दिन, सात दिन और नौ दिन तक की जाती है। दसवें दिन यानी अनंत चतुदर्शी के मौके पर उनका विसर्जन किया जाता है।
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