मिटती गुलामी की निशानियां…

मोदी सरकार ने भारत के स्वाधीनता के 75 वर्ष से 100 के काल को अमृतकाल घोषित कर 5 प्रण लिए है। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण और जटिल प्रण भारत पर 1000 साल में बनी गुलामी की निशानियों को मिटाना है।

मिटती गुलामी की निशानियां…

The signs of slavery are disappearing...

राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के महत्वपूर्ण दो सदनों, ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम बदल दिया है। इन दोनों सदनों का नाम बदलकर अब अनुक्रम से ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ रखा गया है। इस बात की जानकारी राष्ट्रपति के डिप्टी प्रेस सचिव ने नाविका गुप्ता ने प्रेस रिलीज के जरिए दी।

आपको बता दें, मोदी सरकार ने भारत के स्वाधीनता के 75 वर्ष से 100 के काल को अमृतकाल घोषित कर 5 प्रण लिए है। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण और जटिल प्रण भारत पर 1000 साल में बनी गुलामी की निशानियों को मिटाना है। इस लक्ष्य के प्राप्ति हेतु मोदी सरकार के लगातार उठाए कदमों पर उनकी आलोचना भी होती है, पर सरकार ने गुलामी की निशानियों को मिटाने का मुद्दा गंभीरता से लिया है, इसके कई उदाहरण है।

जैसे की गांधीजी की पसंदीदा और ब्रिटिश सेना में गया जाने वाला क्रिश्चन भजन ‘अबाईड विथ मि’ को हटाकर लता मंगेशकर का गाया ‘ए मेरे वतन के लोगों’ इस गीत को सेना के बीटिंग रिट्रीट का हिस्सा बनाया गया। मुग़ल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किया गया। इससे पहले बजट ब्रीफकेस में आया करता था, जिसे लाल रंग के बहीखाते में डाला गया। ब्रिटिश छाप से लिपटा भारतीय नौसेना का झंडा छत्रपति शिवजी महाराज की मुद्रा से प्रेरणा लेकर बनाया गया। इस अमृतकाल में कई बदलाव दिखाई पड़ते है जो भारत की धरती और लोगों पर बनी गुलामी की निशानियों को मिटा रहें है।

मिटती गुलामी की निशानियां…

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