गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन से मराठी नववर्ष का भी आरंभ होता है। साथ ही चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। वहीं गुड़ी पड़वा का पर्व 22 मार्च 2023, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। दक्षिण भारत के लोग इसे उगादी पर्व भी कहते हैं। यह नई फसल की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं आखिर क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा?
गुड़ी पड़वा नाम दो शब्दों से बना है- ‘गुड़ी’, जिसका अर्थ है भगवान ब्रह्मा का ध्वज या प्रतीक और ‘पड़वा’ जिसका अर्थ है चंद्रमा के चरण का पहला दिन। इस त्योहार के बाद रबी की फसल काटी जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। गुड़ी पड़वा में ‘गुड़ी’ शब्द का एक अर्थ ‘विजय पताका’ से भी है और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि है।
गुड़ी पड़वा का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना गया है। महाराष्ट्र में इस दिन अपने घर पर गुड़ी फहराने की परंपरा है। मान्यता है कि घर में गुड़ी फहराने से हर प्रकार की नकारात्मक शक्ति दूर होती है। इस दिन से वसंत आ आरंभ माना जाता है और इसे दक्षिण भारत के राज्यों में फसल उत्सव के रूप में मनाते हैं। अलग-अलग स्थानों पर इसे संवत्सर पड़वो, उगादी,चेती, नवरेह के नाम से जाना जाता है।
गुड़ी पड़वा की मान्यता को अलग-अलग जगहों पर अलग रूपों में चिन्हित किया गया है। मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। एक मान्यता के अनुसार सतयुग की शुरुआत भी इसी दिन से हुई थी। वहीं महाराष्ट्र में इसे मनाने का कारण मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध में विजय से है। ऐसा माना जाता है कि उनके युद्ध में विजयी होने के बाद से ही गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाने लगा। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसी दिन भगवान श्री राम विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या लौटे थे। इसलिए यह विजय पर्व का प्रतीक भी है।
ये भी देखें
इस नवरात्रि नाव पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, जानिए इसका धार्मिक महत्व