आज तुकाराम भवन में विठ्ठल रुक्मिणी मुक्ति का नौवां मुक्ति दिवस मनाया गया। इस मौके पर डॉ. भरत पाटनकर ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर को 17 जनवरी 2014 को बडवे उत्पट द्वारा अपने कब्जे में लेने के बाद पूरी तरह से सरकार द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया था और इसे मनाने के लिए श्रमिक मुक्ति दल, संभाजी ब्रिगेड द्वारा इस मुक्ति दिवस को मनाया जाता है।
हालांकि, वरिष्ठ वकील और भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने विठ्ठल मंदिर को सरकार के कब्जे से मुक्त कराने और इसे हिंदू संतों को सौंपने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है| अतः यह स्पष्ट था कि आज की सभा में स्वामी के इस रुख के विरुद्ध तीव्र प्रतिक्रिया होगी।
इसी क्रम में डॉ. भरत पाटनकर ने कहा कि विठ्ठल रखुमाई केवल हिंदू धर्म के नहीं हैं, बल्कि आप जो मंदिर चाहते हैं, हिंदू मंदिर ले लीजिए, लेकिन यह केवल हिंदुओं का मंदिर नहीं है, यह एक नए विवाद की संभावना है। डॉ. पाटनकर ने आश्चर्यजनक बयान दिया है कि पंढरपुर तब से चला आ रहा है जब कोई धर्म नहीं था और उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई शोध किए गए हैं।