29 C
Mumbai
Saturday, November 23, 2024
होमधर्म संस्कृतिसाहस और मानवता की मिसाल हैं युगपुरुष गुरु तेग बहादुर सिंह, जानिए...

साहस और मानवता की मिसाल हैं युगपुरुष गुरु तेग बहादुर सिंह, जानिए क्यों प्रासंगिक है उनके अमृततुल्य विचार

Google News Follow

Related

भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। यहां कई महापुरुषों ने मान-सम्मान और धर्म की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपनी जान न्योछावर कर दिए। कई सारे प्रलोभन के बावजूद धर्म को लोग अपने सिर माथे पर रखा। ऐसे ही युगपुरुष थे गुरु तेग बहादुर सिंह. गुरु तेग बहादुर सिंह के मानवता,आदर्श विचारों, सत्य और लोगों के हृदय में साहस की लौ जलाने के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। उन्होंने अपने शिष्यों को मौत के घाट उतारे जाने के बावजूद धर्म की रक्षा की। ऐसे महान  पुरुषों को भारत हमेशा नमन करता है। आज गुरु तेग बहादुर सिंह का 400 प्रकाश पर्व है। कोरोना महामारी के बीच ऐसे तेजस्वी पुरुष के शब्द अमृत के समान होते हैं। उनकी वाणी आज प्रासंगिक है।
बचपन से ही संतों के संगत 
गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म वैशाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। गुरु तेग बहादुर सिंह सिखों के नौवें गुरु थे। तेग बहादुर जी के बचपन का नाम त्यागमल था। उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। वे बाल्यावस्था से ही संतों के संगत में रहना अच्छा लगता था।    गुरु तेग बहादुर सिंह गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे।
 जब पिताजी हुए वीरता से प्रभावित 
गुरु तेग बहादुर सिंह की शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हरिगोबिंद साहिब की छत्र छाया में हुई। इसी समय उन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ शस्त्रों तथा घुड़सवारी आदि की भी शिक्षा प्राप्त की। हरिकृष्ण राय जी (सिखों के 8वें गुरु) की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को गुरु बनाया गया। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का ऐसा परिचय दिया कि उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया।
खुद तंबाकू की खेती छोडी
गुरु तेग बहादुर सिंह ने लोगों से नशा छोड़ने की अपील की और तंबाकू की खेती भी छोड़ दी। गुरु तेग बहादुर सिंह ने जनमानस को मुगलों के खिलाफ एकत्रित किया और उन्हें ऐसा जो भरा की मुगलों के नापाक इरादों को नाकाम करते हुए कुर्बान हो गए।

15 रागों में 116 शबद 
गुरु तेग बहादुर सिंह जी द्वारा रचित वाणी के 15 रागों में 116 शबद (श्लोकों सहित) श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। सिक्खों के नौंवें गुरु तेग बहादुर सिंह ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए याद किये जाते हैं।

वे वचन जो जीवन के लिए अमृत हैं 
  • किसी के द्वारा प्रगाढ़ता से प्रेम किया जाना आपको शक्ति देता है और किसी से प्रगाढ़ता से प्रेम करना आपको साहस देता है।  महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते हैं।  सफलता कभी अंतिम नहीं होती, विफलता कभी घातक नहीं होती, इनमें जो मायने रखता है वो है साहस।
  •  सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।  दिलेरी डर की गैरमौजूदगी नहीं, बल्कि यह फैसला है कि डर से भी जरूरी कुछ है। जीवन किसी के साहस के अनुपात में सिमटता या विस्तृत होता है। प्यार पर एक और बार और हमेशा एक और बार यकीन करने का साहस रखिए।
  •  एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं।  गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।  हार और जीत यह आपकी सोच पर ही निर्भर है, मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है। डर कहीं और नहीं, बस आपके दिमाग में होता है।

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
194,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें