हरियाणा की खेल यूनिवर्सिटी, सोनीपत में एशियन योगासन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप के दूसरे संस्करण के लिए भारतीय टीम के चयन की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। 25 से 27 अप्रैल के बीच दिल्ली के इंदिरा गांधी एरिना में होने वाली इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए खिलाड़ियों का राष्ट्रीय स्तर पर चयन किया जा रहा है, जो योग को सिर्फ साधना नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर एक मजबूत पहचान देने की दिशा में अहम कड़ी बन गया है।
सोनीपत में चल रहे ट्रायल्स में देशभर से कुल 252 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिनमें 123 पुरुष और 131 महिलाएं शामिल हैं। ये खिलाड़ी 12 विभिन्न स्पर्धाओं में अपनी योग कौशल, संतुलन, अनुशासन और शारीरिक लय का प्रदर्शन कर रहे हैं। ट्रायल्स का संचालन एशियन योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा किया जा रहा है, जिसे एशिया ओलंपिक परिषद की मान्यता प्राप्त है और यह वर्ल्ड योगासन से भी संबद्ध है।
वर्ल्ड योगासन और भारत योगासन महासचिव जयदीप आर्य ने कहा, “ये ट्रायल केवल अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों की ओर एक रास्ता नहीं हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और शारीरिक विरासत का उत्सव भी हैं। हम ऐसे युवा खिलाड़ियों को देख रहे हैं जो आत्मिक गहराई और खेल कौशल का शानदार मेल कर रहे हैं।”
एशियन योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन के अध्यक्ष संजय मालपानी ने बताया, “पूरे एशिया से इस प्रतियोगिता के लिए जो उत्साह दिखा है, वह अद्भुत है। यह साफ है कि योगासन अब एक सच्चे खेल के रूप में पहचाना जा रहा है, जिसमें शरीर और मन का गहरा अनुशासन चाहिए। भारत में योग की शुरुआत हुई है और वह इस अभियान का नेतृत्व कर रहा है।”
नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन के अध्यक्ष उदित सेठ ने ट्रायल्स में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा,
“इन ट्रायलों में खिलाड़ियों की शानदार भागीदारी और प्रदर्शन देखकर हमें गर्व हो रहा है। ये खिलाड़ी एक ऐसे खेल की नींव रख रहे हैं जो परंपरा और आधुनिक प्रतिस्पर्धा को जोड़ता है। दिल्ली में होने वाली यह प्रतियोगिता एशिया में योगासन खेल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण होगी।”
भारत, जहां योग की जड़ें गहराई तक फैली हैं, अब उसी विरासत को एक आधुनिक और प्रतिस्पर्धात्मक रूप में एशिया के मंच पर पेश करने जा रहा है। इन ट्रायलों के माध्यम से चुने गए खिलाड़ी न केवल देश का प्रतिनिधित्व करेंगे, बल्कि इस प्रयास को एक वैश्विक आंदोलन का आकार भी देंगे।
सोनीपत से निकल रही यह ऊर्जा स्पष्ट संकेत दे रही है कि योग अब ध्यान और साधना तक सीमित नहीं है—यह एक ऐसा खेल बन चुका है जिसमें भारत का नेतृत्व निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
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