चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट से संन्यास लिया, बोले—‘भारतीय जर्सी पहनना मेरे लिए गर्व की बात’

चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट से संन्यास लिया, बोले—‘भारतीय जर्सी पहनना मेरे लिए गर्व की बात’

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भारतीय क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में शुमार चेतेश्वर पुजारा ने रविवार(24 अगस्त) को सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी। पुजारा ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में लंदन के द ओवल मैदान पर खेला था।

पुजारा ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में लिखा,“भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर अपनी पूरी ताकत झोंकना… इसे शब्दों में बयां करना असंभव है। लेकिन जैसा कहते हैं, हर अच्छी चीज का एक अंत होता है। मैं पूरे आभार के साथ भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले रहा हूं। आपके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद।”

इसके साथ ही उन्होंने एक लंबा बयान भी साझा किया, जिसमें अपने दो दशक लंबे क्रिकेट सफर को याद किया। उन्होंने टीम के साथियों, कोचों, प्रशंसकों और परिवार का आभार जताते हुए कहा कि भारत का प्रतिनिधित्व करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा।

2010 में डेब्यू करने वाले पुजारा ने भारत के लिए 103 टेस्ट और 5 वनडे खेले। उन्होंने 19 शतक और 35 अर्धशतक की मदद से 7195 टेस्ट रन बनाए। उनका टेस्ट औसत 43.60 रहा। ऑस्ट्रेलिया के 2018/19 दौरे में चेतेश्वर पुजारा ने 521 रन बनाए, 1258 गेंदों का सामना किया और तीन शतक जड़े, जिसकी बदौलत भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीती।

इसके बाद 2020/21 की सीरीज़ में भी उन्होंने आठ पारियों में तीन अर्धशतक लगाए और टीम को एक और ऐतिहासिक जीत दिलाई। उनकी ठोस बल्लेबाज़ी की तुलना अक्सर सुनील गावस्कर की 1970/71 वेस्टइंडीज़ सीरीज़ से की गई, जिसमें गावस्कर ने 774 रन बनाए थे।  उनकी ठोस बल्लेबाजी शैली को अक्सर सुनील गावस्कर की ऐतिहासिक 1970/71 वेस्टइंडीज़ सीरीज़ (774 रन) से तुलना की गई।

चेतेश्वर पुजारा को रेड बॉल क्रिकेट का स्तंभ कहा जाता है। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 21,301 रन बनाए, जिसमें 66 शतक और 18 दोहरे शतक शामिल हैं। चेतेश्वर पुजारा पहले भारतीय बल्लेबाज़ हैं जिन्होंने तीन तिहरे शतक लगाए—2008/09 में उड़ीसा के खिलाफ 302*, 2012/13 में कर्नाटक के खिलाफ 352 और 2013/14 में वेस्टइंडीज़ ए के खिलाफ 306*।

पुजारा ने पिछले रणजी सत्र में सौराष्ट्र के लिए सात मैचों में 402 रन बनाए थे और छत्तीसगढ़ के खिलाफ दोहरा शतक जड़ा था। साथ ही इंग्लैंड में ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट में भी रन बनाए, लेकिन भारतीय टीम में वापसी नहीं हो पाई।

हालांकि हाल के वर्षों में उन्हें टीम से बाहर रखा गया, लेकिन उनका योगदान भारतीय क्रिकेट की यादों में अमिट रहेगा। पुजारा ने 13 सालों तक नंबर-3 पर खड़े होकर कई कठिन परिस्थितियों में टीम को संभाला। उनकी शांत स्वभाव, धैर्य और तकनीक ने उन्हें आधुनिक युग के टेस्ट क्रिकेट का दीवार बना दिया।

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