IPL 2026 के मिनी-ऑक्शन से पहले एक अहम नियम बदलाव ने क्रिकेट जगत में बहस तेज कर दी है। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का यह मिनी-ऑक्शन इस बार अबू धाबी में आयोजित होने जा रहा है और उससे पहले विदेशी खिलाड़ियों की अधिकतम कमाई को लेकर बनाए गए नए प्रावधान ने फैंस को दो धड़ों में बांट दिया है। कई फैंस IPL के इस नए नियम को खिलाड़ियों संग ज्यादती मान रहें है।
पिछले सीजन के मेगा-ऑक्शन से पहले तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष जय शाह के शब्द,“तुम 18 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई नहीं करोगे!”आज एक तरह से नीतिगत दिशा का संकेत माने जा रहे हैं। हालांकि कोई खिलाड़ी 18 करोड़ रुपये से अधिक की बोली आकर्षित कर सकता है, लेकिन यह नियम विशेष रूप से विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी को सीमित करने के उद्देश्य से लाया गया है।
दरअसल, आईपीएल ने भारतीय खिलाड़ियों को प्राथमिकता देने के लिए विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी को भारत के सबसे महंगे खिलाड़ी की रिटेंशन फीस से जोड़ दिया है। इसका व्यावहारिक असर समझने के लिए आईपीएल 2025 मेगा-ऑक्शन का उदाहरण पर्याप्त है। उस नीलामी में ऋषभ पंत को 27 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली मिली थी। यदि यह नया नियम तब लागू होता तो किसी विदेशी खिलाड़ी पर 30 करोड़ रुपये की बोली लगने बावजूद उसे पूरे 30 करोड़ नहीं मिलते। खिलाड़ी को 27 करोड़ रुपये ही दिए जाते और शेष 3 करोड़ रुपये बीसीसीआई के पास जमा हो जाते।
मिनी-ऑक्शन के मामले में यह सीमा सबसे ऊंची भारतीय रिटेंशन स्लैब से जुड़ी है। उदाहरण के तौर पर, विराट कोहली को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 21 करोड़ रुपये में रिटेन किया है, लेकिन चूंकि आधिकारिक तौर पर सर्वोच्च रिटेंशन स्लैब 18 करोड़ रुपये तय है, इसलिए आईपीएल 2026 के मिनी-ऑक्शन में कोई भी विदेशी खिलाड़ी अधिकतम 18 करोड़ रुपये ही कमा सकता है। इससे ऊपर की रकम सीधे बीसीसीआई के पास जाएगी, जिसे खिलाड़ीयों कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
स्वाभाविक रूप से, इस नियम से कई फैंस नाखुश हैं। तर्क है कि अगर बाजार किसी विदेशी खिलाड़ी को भारतीय खिलाड़ी से ज्यादा मूल्य देता है, तो उसे पूरी रकम मिलनी चाहिए। यह दलील पूरी तरह से खारिज भी नहीं की जा सकती। हालांकि, इस बदलाव के पीछे का संदर्भ भी उतना ही अहम है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई फ्रेंचाइजियां इस बात से नाराज थीं कि कुछ विदेशी खिलाड़ी रणनीतिक रूप से केवल मिनी-ऑक्शन में नाम डालते थे ताकि सीमित विकल्पों के कारण ऊंची कीमत हासिल कर सकें। इसी वजह से बीसीसीआई ने सख्त कदम उठाए। नए नियमों के तहत, ऑक्शन में नाम दर्ज कराने के बाद हटने वाले खिलाड़ी पर दो साल का आईपीएल प्रतिबंध लगेगा। साथ ही, जो विदेशी खिलाड़ी मेगा-ऑक्शन छोड़ते हैं, उन्हें मिनी-ऑक्शन में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं मिलेगी।
सैलरी कैप से जुड़ा दूसरा पहलू सबसे ज्यादा विवादित है। सोशल मीडिया पर कई फैंस ने इसे “कंजूसी भरा” फैसला बताते हुए इसे डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसी की तरह ‘इंडिया-फर्स्ट’ सोच कहा है। दूसरी ओर, यह भी तर्क दिया जा रहा है कि इससे किसी को वास्तविक नुकसान नहीं होता। फ्रेंचाइजी को मनचाहा खिलाड़ी मिलता है, खिलाड़ी को लीग के सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी के बराबर रकम मिलती है और बीसीसीआई को कल्याण योजनाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन मिलते है।
विशेषज्ञों के अनुसार नियम गंभीर समस्या बन सकता है अगर अन्य अंतरराष्ट्रीय लीग विदेशी खिलाड़ियों को आईपीएल से कहीं अधिक आर्थिक लाभ देने लगें। फिलहाल ऐसा होना मुश्किल नजर आता है। मौजूदा हालात में विदेशी सितारे IPL को प्राथमिकता देते रहेंगे, भले ही उनकी सैलरी विराट कोहली जैसे दिग्गज के बराबर ही क्यों न सीमित हो। हालांकि फैंस इसे विदेशी खिलाड़िओं के साथ ज्यादती बता रहें है।
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