पहाड़ों, चोटियों और किलों जैसे कठिन रनों के लिए प्रसिद्ध ‘अल्ट्रा ट्रेल रेस’ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लक्ष्य के साथ ‘देव’ हर दिन 25 किमी दौड़ता है। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें भारत की ओर से ‘अल्ट्रा ट्रेल रेस’ के लिए चुना गया। उन्हें इसी जुनून से भागने का शौक हो गया कि वे भी देश के लिए कुछ योगदान दें।
पुसद तालुका के श्रीरामपुर के देव श्रीरंग चौधरी की दौड़ने की दिनचर्या अद्भुत है। बीकॉम तक पढ़े देव दौड़ने का भी अभ्यास करते हैं और जीविका के लिए खेती करते हैं। उनका धनौदा (महागांव) में खेत है। वे ‘अल्ट्रा रन रेस’ चलाने वाले विदर्भ के इकलौते युवा हैं। उन्होंने बहुत ही कम समय में दौड़कर महाराष्ट्र के अधिकांश पहाड़ों, किलों और चोटियों पर चढ़ाई की है। रोड रनिंग इवेंट्स, स्पोर्ट्स फील्ड इवेंट्स और हिल इवेंट्स में भी लगातार दौड़ रहे हैं।
अब तक उन्होंने 70 से अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और पुरस्कार जीते हैं। दिल्ली में इंडियन बैकयार्ड अल्ट्रा रेस के निदेशक गगनदीप ने उन्हें ‘रनिंग मराठी गाय’ की उपाधि दी है। देव पर देश के लिए ‘अल्ट्रा रन रेस’ जीतने का जुनून सवार है। प्रतियोगिता में 42 किलोमीटर से अधिक की दूरी दौड़नी होती है। इसलिए उन्होंने बहुत ही कम समय में यह लक्ष्य हासिल कर लिया है।
स्कूल में युवाओं को पुलिस भर्ती की तैयारी करते देख देव को दौड़ने का शौक हो गया। मैंने पहले दिन 100 मीटर दौड़ लगाई। दौड़ते समय गिरने से होंठ फट गए और टांके लगे। अगले दिन मैं फिर मैदान में गया। वहां बच्चे चिढ़ाते थे। उस समय मैंने खूब दौड़ने का फैसला किया। सुबह, दोपहर, शाम अभ्यास करने लगे। दो महीने बाद उन्हीं लड़कों के साथ दौड़ लगाई। मैंने पांच मिनट और नौ सेकंड में 1,600 मीटर की दूरी तय की।
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