भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने शनिवार को अपने पेशेवर करियर से संन्यास की घोषणा की, जिसके साथ ही दो दशकों से भी लंबा उनका शानदार सफर समाप्त हुआ। बोपन्ना ने अपना अंतिम मैच पेरिस मास्टर्स 1000 में एलेक्ज़ेंडर बुब्लिक के साथ खेला, जहां दोनों को राउंड ऑफ 32 में जॉन पीयर्स और जेम्स ट्रेसी की जोड़ी से 5-7, 6-2, 10-8 से हार का सामना करना पड़ा।
45 वर्षीय बोपन्ना को भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ियों में गिना जाता है। उन्होंने 2017 में फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स खिताब गेब्रिएला डाब्रोव्स्की के साथ जीता था और 2024 में ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष डबल्स खिताब जीतकर इतिहास रचा था। इस जीत के साथ वे 43 साल की उम्र में विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी बने।
इसके अलावा बोपन्ना ने चार अन्य ग्रैंड स्लैम फाइनल्स में जगह बनाई, जिसमें एक पुरुष डबल्स (मैथ्यू एब्डेन के साथ 2023 यूएस ओपन) और तीन मिक्स्ड डबल्स (टिमिया बाबोस, सानिया मिर्जा और डाब्रोव्स्की के साथ) शामिल हैं।
कर्नाटक के कूर्ग से ताल्लुक रखने वाले बोपन्ना ने अपने करियर की शुरुआत साधारण परिस्थितियों में की थी, लेकिन अपने तेज सर्व, नेट प्ले की निपुणता और दृढ़ मानसिकता से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। उन्होंने कई डेविस कप मुकाबलों और ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
बोपन्ना ने 2012 और 2015 में एटीपी फाइनल्स के शिखर मुकाबले में भी जगह बनाई थी। उन्होंने अपने लंबे करियर में महेश भूपति, ऐसाम-उल-हक कुरैशी और मैथ्यू एब्डेन जैसे कई दिग्गज खिलाड़ियों के साथ साझेदारी की।
अपने विदाई संदेश में बोपन्ना ने लिखा, “अलविदा… पर अंत नहीं। आप किसी ऐसी चीज़ को कैसे अलविदा कहेंगे जिसने आपके जीवन को सार्थकता दी? टूर पर बिताए 20 अविस्मरणीय वर्षों के बाद, अब समय आ गया है… मैं आधिकारिक तौर पर अपना रैकेट टांग रहा हूँ।”
उन्होंने अपने माता-पिता, बहन रश्मि, पत्नी सुप्रिया और बेटी तृधा को अपना सबसे बड़ा सहारा बताते हुए धन्यवाद कहा। बोपन्ना ने लिखा कि टेनिस ने उन्हें जीवन का अर्थ, साहस और पहचान दी।
उन्होंने अपने कोच स्कॉट, सभी ट्रेनर्स, टीम और फैन्स का भी आभार व्यक्त किया। “भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है। हर सर्व, हर पॉइंट, हर मैच – मैंने उस झंडे के लिए, उस भावना के लिए, अपने देश के लिए खेला।”
बोपन्ना ने कहा कि वे भले ही पेशेवर टूर से संन्यास ले रहे हों, लेकिन टेनिस से उनका रिश्ता खत्म नहीं होगा। अब वे युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करने और भारत में टेनिस को नई दिशा देने के लिए काम करना चाहते हैं। “यह अलविदा नहीं है… यह उन सभी के लिए धन्यवाद है जिन्होंने मुझे आकार दिया, मेरा मार्गदर्शन किया, मेरा समर्थन किया और मुझे प्यार किया।”
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