IPL 2021: जानिए बायो बबल क्या है और कैसे काम करता है ?

IPL 2021: जानिए बायो बबल क्या है और कैसे काम करता है ?

मुंबई। आईपीएल 2021 (14 वां संस्करण ) अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दिया गया है। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा है कि पता नहीं कैसे बायो बबल के बावजूद खिलाड़ी कोरोना संक्रमित हो गए हैं ,उन्होंने कहा कि जो रिपोर्ट मिली है उसमें कही ऐसा नहीं लगता की बायो बबल का उल्लंघन हुआ है। अब सवाल उठता है कि बायो बबल है क्या चीज ? तो आइये बतातें आपको की बायो बबल क्या है और कैसे काम करता है ?

क्या है बायो बबल ?

 
बायो बबल एक काल्पनिक क्षेत्र है, जिसमें अंदर रहने वाले लोगों का बाहरी दुनिया से बिल्कुल भी संपर्क नहीं होता है। आईपीएल के लिए बनाए गए बायो बबल में क्रिकेटरों के अलावा टूर्नामेंट से जुड़े सभी लोग शामिल थे। उन्हें इससे बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। जिस जगह खिलाड़ी जाते हैं, जैसे स्टेडियम या होटल, वहां ऐसी जगह चुनी जाती है जहां बबल के बाहर किसी से आसानी से संपर्क न हो सके। खिलाड़ी इन चुनी हुई जगह के अलावा कहीं और नहीं जा सकते हैं।
बीसीसीआई ने बनाया था सख्त नियम     
आईपीएल शुरू होने से लेकर खत्म होने तक कोई भी खिलाड़ी इस बायो बबल से बाहर नहीं जा सकता है। अगर किसी विशेष परिस्थिति में उन्हें बाहर जाने की अनुमति दी जाती है, तो बबल में लौटने से पहले उन्हें 7 दिन क्वारनटीन होना पड़ता है। उसके बाद कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद ही वे दोबारा बायो बबल से जुड़ते हैं। बीसीसीआई बायो बबल को लेकर सख्त नियम भी बनाए थे। अगर कोई भी खिलाड़ी या अन्य सदस्य बायो बबल तोड़ता है तो वो कोड ऑफ कंडक्ट का दोषी माना जाता है और उसपर कुछ मैचों का प्रतिबंध भी लग सकता है।
जीपीएस से हर मूवमेंट पर नजर
खिलाड़ियों की हर मूवमेंट पर नजर रखने के लिए एक जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगा होता है। यह डिवाइस प्लेयर्स को अपनी कलाई पर बांधनी होती है। इससे पता चलता है कि कौन बायो बबल के अंदर है और कौन बाहर जा रहा है।
संशय और संक्रमण 
कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाड़ी वरुण चक्रवर्ती अपने कंधे का स्कैन करवाने के लिए अस्पताल गए थे। कहा जा रहा है कि इसी दौरान वह कोरोना वायरस से संक्रमित हुए और बायो बबल टूटा।
 और टूट गया बायो बबल
आईपीएल 2020 के लिए यूएई में ट्रैकिंग डिवाइस और बायो बबल की निगरानी रेस्ट्रेटा (Restrata) नाम की प्रोफेशनल कंपनी ने की थी,जबकि भारत में यह काम स्थानीय अस्पताल और परीक्षण प्रयोगशालाओं के हाथों में छोड़ दिया गया था, जो रेस्ट्रेटा की तरह काम नहीं कर पायी और बायो बबल टूट गया।
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