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Friday, September 20, 2024
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क्या और कहीं से ममता नहीं जीत सकतीं चुनाव,इसलिए भवानीपुर लौटी हैं ‘दीदी’

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कोलकाता। एक कहावत है लौट के बुद्धू घर को आये…. यह कहावत बनर्जी पर सटीक बैठती है। ममता बनर्जी एक बार फिर भवानीपुर लौट आईं हैं। नंदीग्राम से बीजेपी प्रत्याशी शुभेन्दु अधिकारी से हारने के बाद ममता बनर्जी विधानसभा का उपचुनाव अब अपनी सेफ माने जाने वाली और परंपरागत सीट भवानीपुर से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने की तैयारी में हैं। वहीं, नंदीग्राम सीट से मौजूदा टीएमसी विधायक शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे को विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने स्वीकार कर लिया है। बनर्जी ने कहा, ‘मैंने उनसे पूछा है कि वह खुद इस्तीफा दे रहे हैं और उनके ऊपर कोई दबाव नहीं है। मैं संतुष्ट हूं और उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है।’

अब सवाल उठाने लगे हैं कि क्या और कहीं से ममता बनर्जी चुनाव नहीं जीत सकती हैं इसलिए दोबारा भवानीपुर से ही चुनाव लड़कर जीत का दम भरने वाली हैं।

 

बता दें कि ममता बनर्जी भवानीपुर सीट से ही चुनाव लड़ती आ हैं, लेकिन इस बार उन्होंने नंदीग्राम से उतरने का फैसला लिया था। नंदीग्राम में उनका मुकाबला बीजेपी नेता शुभेन्दू  अधिकारी से था जिन्होंने बनर्जी को हरा दिया।इसके बावजूद ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी। उन्हें 6 महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी।
इधर, शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि यह पार्टी का फैसला है और मैं उसके साथ हूं।’ बंगाल सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘मैं आज भवानीपुर विधानसभा सीट से विधायक के तौर पर अपना पद छोड़ने जा रहा हूं। यह पार्टी के साथ ही मेरा भी फैसला है। मैं इस फैसले से पूरी तरह खुश हूं।’

West Bengal | TMC’s Sovandeb Chatterjee resigns as MLA from Bhawanipore

“I have enquired from him if he has resigned voluntarily and without coercion. I am satisfied, and I have accepted his resignation,” says West Bengal Assembly Speaker Biman Banerjee pic.twitter.com/qJtScYHUnO

— ANI (@ANI) May 21, 2021

पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिग्गज नेता शोभनदेब खरदाह सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इस सीट पर टीएमसी के कैंडिडेट काजल सिन्हा की मौत के चुनाव नहीं हो सका था। ऐसे में शोभन दा को पार्टी की ओर से खरदाह सीट से चुनाव में उतारा जा सकता है। शोभन दा को ममता बनर्जी के बेहद करीबी नेताओं में से एक माना जाता है। शायद इसीलिए उन्होंने अपनी परंपरागत सीट से उन्हें चुनाव में उतरने का मौका दिया था।  अब कई तरह के सवाल भी उठेंगे।  क्या  बनर्जी विपक्ष को एकजुट कर पाएंगी, जो खुद हारने पर अपनी परंपरागत सीट से चुनाव लड़ने का मन बनाया है। ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब ममता बनर्जी को देना पड़ेगा।

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