एशिया का कप के फाइनल मुकाबले में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की तरह पाकिस्तान पर ऑपरेशन तिलक भी कर दिया गया है। मुश्किल परिस्थिती में तिलक वर्मा, शिवम् दुबे, कुलदीप यादव, सबने मिलकर पाकिस्तान की ताबूत में आखरी कील ठोककर बता दिया की दोनों देशों के बीच कोई राइवलरी बनती ही नहीं। कहां राजा भोज और कहा मुल्ला नसीरुद्दीन।
इस लगातर तीन जीत की स्मृतियों में कुछ यादें हमेशा रहैंगी। अर्शदीप सिंग ने हारिस रउफ के पिछवाड़े में धसाए जेट से लेकर कल बुमराह के दागे ब्रम्होस तक भारतीय टीम ने हमेशा पाकिस्तान को चेताया की वह एक घंटी है जिसे भारत जब मन करें बजाता रहेगा। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पहली मैच जीतकर उसे भारतीय सेना को डेडिकेट किया था, और कल एशिया कप जीतने के बाद अपनी सभी मैच फ़ीस सेना को देने का फैसला लिया है। कप्तान साहब एक ही दिल है कितनी बार जीतोगे?
एशियन क्रिकेट काउंसिल का अध्यक्ष है मोहसीन नकवी, जो की पाकिस्तान का इंटीरियर मिनिस्टर भी है। फ़िलहाल यह आदमी लाहौर की गलियों में बटवे, चैन, और मोबाईल पर हाथ साफ़ करने वाले ब्रांडेड लाहौरी चोरों की तरह भारत की एशिया कप की ट्रॉफी चुराकर भाग रहा है।
भारतीय टीम तीसरी बार पाकिस्तान की ठुकाई करेगी यह नकवी जानता था। इसीलिए उसने पाकिस्तानी टीम को ग्राउंड में सभी गंदी हरकतें करने की छूट दे रखी थी। कहा था, की कुछ भी करो में एसीसी चेयरमन हूं में देख लूंगा। ऐसे बेगैरत आदमी को टीम इंडिया ने करीब एक डेढ़ तक जलील करवाया। टीम इण्डिया ने मोहसिन नकवी के हाथ से कप लेने से मना कर दिया। नकवी आदमी भी इतना बेशरम निकला की एक घंटे तक पोडियम पर इंतजार करता रहा। आखिर में उसे याद आया की वह पाकिस्तानी है, बस फिर क्या वह टीम इंडिया की जीती हुई ट्रॉफी लेकर अपने हॉटल रूम पर भाग गया।
दुनिया में टीम इंडिया पहली ऐसी चैंपियन टीम बनी जो बिना ट्रॉफी के जश्न मना रही थी, और यह देखकर तमाम पाकिस्तानियों के छाती पर सांप लोट रहे थे। बताओ मैच तो मैच; पोस्ट मैच इंटरटेनमेंट भी अलग।
खैर पाकिस्तान हमारी एशिया कप की ट्रॉफी ब्रांडेड लाहौरी की तरह लेकर गायब हुआ है—लेकीन दूसरी तरफ भारत की असली ट्रॉफी भारत आने तैयार है। पाकिस्तान के कब्जाए जम्मू-कश्मीर में अब प्रोटेस्ट हो रहें है। कश्मीर के मूल लोग पाकिस्तान से आज़ादी की मांग कर रहें है। इधर एक तरफ शाहबाज़ शारिब कंकड़ पत्थर इकठ्ठा कर डोनाल्ड ट्रम्प के नुमाईश के लिए ले जा रहें है और उधर कश्मीर रेत की तरह पाकिस्तान के हाथ से फिसल रहा है।
कब्जाए कश्मीर के लोगों की मांग है की अगर पाकिस्तान का 90 प्रतिशत आटा उनके प्रदेश में बनता है, ९० प्रतिशत बिजली उनके प्रदेश में बनती है तो यह चीजें उन्हें क्यों नहीं दी जाती। अगर पाकिस्तान की अवाम कुछ न करके भी बड़ी सब्सिडी पाती है, तो कश्मीर के लोगों को आटे और बिजली में सब्सिडी क्यों नहीं मिलती। इसके अलावा पकिस्तान की सरकार से कश्मीरियों की 38 मांगे है, जिनमें असेम्ब्ली सीट से पाकिस्तान में बसे कश्मीरियों की सीटे हटाने की मांग भी है।
दरअसल POK की असेंबली में 53 सीट है–जिसमें 8 सीटों पर पाकिस्तान तय करता है की कौन लोग बैठेंगे, और 12 सीटें पाकिस्तान में बसे कश्मीरियों के लिए रिजर्व की है इसके अलावा कश्मीर का प्रधानमंत्री भी ऐसा चुना जाता है जो कश्मीरियों को चूना लगाए। यानी कुल मिलाकर पाकिस्तान कब्जाए कश्मीर के लोगों के पैसे, उनकी मेहनत और उनके संसाधन निचोड़ रहा है।
दशकों पहले चीन के साथ यारी-दोस्ती निभाने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर की शग्सगम वैली चीन के नाम की। इस वैली में चीन बड़ी मात्रा में खनिज निकाल रहा है। सिलिकॉन वेफर्स बनाने के लिए यहाँ पर चीनी कंपनी तेजी से काम कर रही है—लेकीन चीन को इस सिलिकॉन वेफर्स को बनाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी चाहिए, यूं समझो की एक 12 सेंटीमीटर की एक सिलिकॉन वेफ़र बनाने के लिए 3 हजार से 5 हजार लीटर साफ़ पानी लगता है। यह साफ़ पानी इस इलाके में केवल ग्लेशियर्स से मिल सकता है—इसीलिए पाकिस्तान अब कश्मीर के लोगो का पानी भी चीन को देने जा रहा है।
इन अत्याचारों से कुचले गए कश्मीरियों ने अब शांतिपूर्ण आंदोलन छेड़ दिए है—हर दूकान, हर बाजार बंद कर दिया गया है। लोगों ने सरकारी दफ्तरों में जाना छोड़ दिया है। अपने आर्थिक और राजनैतिक अधिकारों के लिए कश्मीरी शटर डाउन और चक्का जाम आंदोलन पर लगा हुआ है।
दूसरी तरफ, भारत के कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकवाद फैलाने के बावजूद व्यापार में तेजी है, आम कश्मीरियों भारत ने कुछ भी छीनने के बजाए उन्हें रोजगार दिए है, मुफ्त राशन और बेहिसाब टूरिज़म दिया है। कश्मीर में लीची, केसर, सेब का व्यापार डेढ़ गुना गति से फूल रहा है। एक्सपोर्ट तेज़ हो रहें है। और सबसे महत्वपूर्ण बात अब कश्मीर के लोगों की अपनी असेंबली है, इस असेंबली में उनके प्रदेश से चुने गए प्रतिनिधि है, जो उनके लिए फैसले लेते है।
कश्मीर का यह विकास पाकिस्तान के कब्जाए कश्मीर से लोग देखते है। इस इलाके में बग़ावत के सुर सुनाई देने लगे है। उन्हें अगर डर भी है तो वह इस बात का है की पाकिस्तान आर्मी उन पर हमेशा अत्याचार करते आई है और संघर्ष के दौरान यह अत्याचार दोहराए जाएंगे। बस इस हिसाब के चलते पाकिस्तान के कश्मीर में शान्ति है। लेकीन वह दिन सालों दूर भी नहीं जब 54 लाख कश्मीरी एक आवाज में पाकिस्तान को ठुकराएंगे और उनकी अपनी धरती भारत में आकर मिलेंगे।



