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इटली में बुर्का बैन, जबरन धर्मपरिवर्तन और वर्जिनिटी टेस्ट पर भी बनेगा सख्त कानून!

जॉर्जिया मेलोनी सरकार का ऐलान

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इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की सरकार ने देश में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बुधवार (8 अक्तूबर) को सत्तारूढ़ पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ने संसद में एक नया बिल पेश किया, जिसके तहत चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर सख्त पाबंदी और उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। यह प्रस्ताव सिर्फ पोशाक के प्रतिबंध तक सीमित नहीं है। इसमें धार्मिक संगठनों की फंडिंग की जांच, जबरन धर्मपरिवर्तन के खिलाफ कड़े कानून और ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ को अपराध घोषित करने जैसे अहम बदलाव भी शामिल हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बिल का उद्देश्य देश में इस्लाम से जुड़े “सांस्कृतिक अलगाववाद” (Cultural Separatism) का मुकाबला करना है। बिल पास होने के बाद सभी सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों, दुकानों और दफ्तरों में बुर्का या नकाब पहनना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। उल्लंघन करने वालों पर 300 से 3,000 यूरो (लगभग ₹30,000 से ₹3 लाख) तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।

फ्रांस 2011 में बुर्का बैन लागू करने वाला पहला यूरोपीय देश था। इसके बाद ऑस्ट्रिया, ट्यूनीशिया, तुर्की, श्रीलंका और स्विट्ज़रलैंड जैसे 20 से अधिक देशों ने भी अलग-अलग रूपों में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पर प्रतिबंध लगाया। यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ECHR) ने भी ऐसे प्रतिबंधों को संवैधानिक माना है। 2017 में न्यायालय ने बेल्जियम में लगे बुर्का बैन को सही ठहराते हुए कहा था कि सरकार समाज में “साथ रहने” की भावना की रक्षा के लिए ऐसे कदम उठा सकती है।

प्रस्तावित कानून का एक बड़ा हिस्सा इटली में सक्रिय इस्लामिक संगठनों को लेकर है। जो धार्मिक समूह सरकार के साथ औपचारिक समझौता नहीं रखते, उन्हें अब अपनी पूरी फंडिंग का स्रोत बताना होगा। उन्हें सिर्फ उन्हीं संस्थानों से फंड लेने की अनुमति होगी जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं माने जाते। वर्तमान में, इटली सरकार ने 13 धार्मिक समूहों को औपचारिक मान्यता दी है, इस्लाम इनमें शामिल नहीं है।

बिल में समाज सुधार से जुड़े कई आपराधिक प्रावधान भी जोड़े गए हैं। किसी महिला का वर्जिनिटी टेस्ट कराना अब अपराध माना जाएगा। किसी का धर्म परिवर्तन करवाने के लिए जबरन शादी कराने पर पहले से ज्यादा कड़ी सजा का प्रावधान होगा। सरकार का कहना है कि यह कानून महिलाओं की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लाया जा रहा है।

इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जो लंबे समय से कट्टरपंथी इस्लामी प्रथाओं के खिलाफ खुलकर बोलती रही हैं, का कहना है कि यह कानून इटली की सांस्कृतिक एकता और सुरक्षा के लिए जरूरी है। सरकार का मानना है कि बुर्का और नकाब न केवल सांस्कृतिक विभाजन का प्रतीक हैं, बल्कि आंतरिक सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए भी चुनौती पेश करते हैं।

मेलोनी सरकार का यह कदम यूरोप में धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा की बहस को एक बार फिर तेज कर सकता है। अगर यह बिल कानून बनता है, तो इटली उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने चेहरे को ढकने वाले धार्मिक परिधानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। साथ ही यह कदम चरमपंथी प्रवृत्तियों पर कड़ा संदेश देने के रूप में भी देखा जा रहा है।

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