भारत बनाम-पाकिस्तान और बांग्लादेश के हालिया तनाव ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक समीकरणों में एक नई हलचल पैदा कर दी है। पाकिस्तान ने इस मौके को भुनाने की कोशिश की है। ढाका को कराची पोर्ट के उपयोग की पेशकश दी है। भारत ने बांग्लादेश से जूट उत्पादों के आयात पर रोक लगाने के बाद यह प्रस्ताव दिया गया है। सोमवार(27 अक्तूबर) को ढाका में लगभग दो दशक बाद आयोजित पाकिस्तान-बांग्लादेश संयुक्त आर्थिक आयोग (JEC) की बैठक में यह समझौता हुआ। यह बैठक दोनों देशों के बीच एक लंबे अंतराल के बाद आर्थिक रिश्तों के पुनर्जीवन का संकेत मानी जा रही है। गौरतलब है कि 1971 में बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में आई दरार के बीच पाकिस्तान ने ढाका को कराची पोर्ट के उपयोग की पेशकश कर उसे चीन, खाड़ी देशों और मध्य एशिया के साथ व्यापार का नया मार्ग देने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह समुद्री मार्ग 2,600 नौटिकल मील लंबा है और आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं। यात्रा में दो सप्ताह तक लग सकते हैं, जिससे परिवहन लागत काफी बढ़ जाएगी। इसलिए, इस कदम को अधिकतर कूटनीतिक प्रतीकात्मकता के रूप में देखा जा रहा है, न कि किसी व्यवहारिक आर्थिक कदम के रूप में।
पाकिस्तान ने साथ ही जूट और अन्य उत्पादों पर करों में कटौती करने का निर्णय लिया है, जिससे बांग्लादेश को निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सके। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस वर्ष की शुरुआत में ही पाकिस्तान ने बांग्लादेशी जूट पर 2% कस्टम ड्यूटी हटा दी थी। “पाकिस्तान बांग्लादेश से जूट और जूट उत्पाद आयात करने में रुचि रखता है, जबकि बांग्लादेश ऐसे उत्पादों का निर्यात बढ़ाना चाहता है,” ढाका में हुई बैठक से जुड़े एक अधिकारी ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस बांग्लादेश को बताया।
इसके बदले में पाकिस्तान ने बांग्लादेश में अपने आम के निर्यात के लिए तेज़ मंजूरी की मांग की है, क्योंकि भारत से आम का निर्यात घटने के बाद वहाँ एक बड़ा बाजार खाली हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 865 मिलियन डॉलर का रहा, जिसमें से 778 मिलियन डॉलर का निर्यात पाकिस्तान से हुआ। वहीं, बांग्लादेश का 38% निर्यात केवल जूट और जूट उत्पादों से जुड़ा है।
पाकिस्तान की यह पहल सीधे तौर पर भारत के हालिया फैसलों से जुड़ी है। अगस्त में भारत ने बांग्लादेश से आने वाले कुछ जूट उत्पादों और रस्सियों के आयात पर सभी ज़मीनी मार्गों से प्रतिबंध लगा दिया। इससे पहले भारत ने बांग्लादेशी वस्त्रों और रेडीमेड गारमेंट्स के ज़मीनी आयात पर भी रोक लगाई थी, जिन्हें अब केवल नवी मुंबई के Nhava Sheva Seaport के माध्यम से ही आने की अनुमति है, जिससे परिवहन लागत काफी बढ़ गई है।
भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं के ट्रांसशिपमेंट समझौते को भी रद्द कर दिया है, जिससे ढाका के लिए वैकल्पिक समुद्री मार्गों पर निर्भर रहना पड़ा। नतीजतन, बांग्लादेश की जूट निर्यात आय जुलाई 2025 में घटकर मात्र $3.4 मिलियन रह गई, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह $12.9 मिलियन थी। जवाबी कदम के रूप में बांग्लादेश ने भी भारत से यार्न आयात पर रोक लगा दी।
भारत-बांग्लादेश के संबंधों में गिरावट की शुरुआत प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के तख़्तापलट के बाद हुई, जब छात्र आंदोलनों की आड़ में हिंसक घटनाओं में सत्ता परिवर्तन हुआ। इसके बाद अंतरिम सरकार में आए मुहम्मद यूनुस के शासन ने विदेश नीति में बड़ा बदलाव किया और पाकिस्तान तथा चीन के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाए, जबकि भारत के साथ रिश्ते ख़राब किए।
पाकिस्तान ने इस मौके को तुरंत भुनाया। ढाका को कराची पोर्ट की पेशकश सिर्फ एक व्यापारिक रणनीति नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में भारत की पारंपरिक प्रभाव-क्षेत्र को चुनौती देने का प्रयास माना जा रहा है।
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