दशकों से पाकिस्तान के सत्ता की चाबियां पाकिस्तानी सेना के बेल्ट से बंधी थी इस बात से दुनिया भलीभांति परिचित है। हालाँकि अब पाकिस्तान की सत्ता औपचारिक तौर पर सेना बूट के इशारों पर चलेगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की सरकार शुक्रवार(7 नवंबर) को सीनेट में 27वां संविधान संशोधन पेश करने जा रही है, जिसके बाद पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को संवैधानिक रूप से सर्वोच्च शक्ति मिल जाएगी। इस संशोधन के बाद सेना प्रमुख को ‘फ़ील्ड मार्शल ऑफ़ पाकिस्तान’ का पद दिया जाएगा, जिसकी संवैधानिक अवधि बिल्कुल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तरहपाँच वर्ष की होगी।
अब तक संविधान के अनुच्छेद 243 में यह लिखा है कि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों का नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथ में होगा और सेनाध्यक्षों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाएगी। लेकिन संशोधन के बाद, यह अधिकार सीधे फ़ील्ड मार्शल के पास चला जाएगा। यानी सेना प्रमुख अब न केवल पर्दे के पीछे, बल्कि सीधे संविधान के ऊपर बैठे हुए सत्ता केंद्र होंगे।
सूत्रों के अनुसार, संशोधन के मुख्य प्रावधान में ‘फ़ील्ड मार्शल ऑफ़ पाकिस्तान’ का संवैधानिक पद स्थापित होगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष होगी, फ़ील्ड मार्शल को पाकिस्तानी सेना, वायुसेना, नौसेना और ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के चीफ़ नियुक्त करने की शक्ति मिलेगी, फ़ील्ड मार्शल को कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों से पूर्ण प्रतिरक्षा दी जाएगी, सभी सेवा प्रमुखों का कार्यकाल पाँच वर्ष तय किया जाएगा, सेना के कमांड ढांचे में बदलाव कर Chairman Joint Chiefs of Staff Committee का पद हट सकता है और उसकी जगह Vice Chief of Army Staff का नया पद बनाया जा सकता है
दरअसल यह बदलाव उस संरचना को कागज़ पर औपचारिक बनाने का एक कदम है, जो 2022 से ही पाकिस्तान में व्यवहार में चल रही है। जहाँ नागरिक सरकार औपचारिक, और सेना वास्तविक निर्णयकर्ता है, इसे बदलकर अब सेना प्रमुख ही फैसले लेगा।
विश्लेषकों का कहना है कि भी पाकिस्तान में यह संशोधन केवल मुनीर के कार्यकाल को सुरक्षित नहीं करेगा, बल्कि भविष्य में सैन्य प्रभुत्व को स्थायी बना देगा। पाकिस्तान की राजनीति में जहाँ सरकारें अक्सर गिरती रही हैं, वहीं सेना अपने निर्णयों में लगातार और स्थिर बनी रहती है। पाकिस्तान में मिलट्री डिक्टेटरशीप को संवैधानिक दर्जे मिलने जा रहा है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि पाकिस्तानी सेना मेरिका और चीन के साथ मिलकर चल रही खनन और अवसंरचना परियोजनाओं में दीर्घकालिक आर्थिक और भू-रणनीतिक परियोजनाओं पर केंद्रीकृत नियंत्रण चाहती है। यह संशोधन इसी सत्ता-संतुलन को स्थायी बनाने का प्रयास माना जा रहा है। पाकिस्तान में लोकतंत्र का ढाँचा पहले भी कमज़ोर और प्रतीकात्मक रहा है। लेकिन 27वें संशोधन के बाद, यह औपचारिक रूप से स्पष्ट हो जाएगा कि पाकिस्तान में सत्ता का केंद्र संसद नहीं, सेना है और देश की राजनीतिक दिशा अब जनरल असीम मुनीर के हाथों में लिखित, मान्य और संरक्षित होगी।
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