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Friday, December 5, 2025
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“आज की दुनिया में राजनीति, अर्थशास्त्र पर हावी”

अमेरिका पर ट्रेड टकराव को लेकर बोले एस. जयशंकर

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अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक परोक्ष टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा वैश्विक माहौल में राजनीति कई बार अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ जाती है। कोलकाता में IIM-कोलकाता द्वारा प्रदत्त मानद डॉक्टरेट ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि दुनिया के अस्थिर होते राजनीतिक समीकरणों के बीच भारत के लिए सप्लाई चेन का विविधीकरण अनिवार्य हो गया है।

जयशंकर ने स्पष्ट कहा, “यह वह दौर है जहां राजनीति लगातार अर्थशास्त्र पर हावी होती जा रही है और यह कोई शब्द-खेल नहीं है। ऐसी अनिश्चित दुनिया में हमारे लिए जरूरी है कि हम अपनी आवश्यकताओं को सुरक्षित रखने के लिए सप्लाई स्रोतों का लगातार विस्तार करें।”

यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय आयात पर 50% का भारी शुल्क लगाया है, जिसके बाद दोनों देशों के बीच टैरिफ विवाद और गहरे हो गए हैं। जयशंकर ने वॉशिंगटन के बदलते रुख की ओर इशारा करते हुए कहा कि “संयुक्त राज्य अमेरिका, जो लंबे समय से वर्तमान वैश्विक प्रणाली का संरक्षक रहा है, अब बिल्कुल नए नियमों पर काम कर रहा है और देशों से एक-एक कर अलग-अलग सौदे कर रहा है।”

दोनों देश फिलहाल दो अलग-अलग वार्ताओं में जुटे हैं, एक का उद्देश्य टैरिफ मसलों को सुलझाना है, जबकि दूसरी एक व्यापक व्यापार समझौते की दिशा में प्रयास कर रही है। तनावों के बावजूद, हालिया आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका को भारतीय निर्यात अपेक्षाओं से कम प्रभावित हुए हैं। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भारत ने 50% अमेरिकी टैरिफ के सबसे बुरे प्रभाव से बचने में सफलता पाई है और फिलहाल अधिक अनुकूल समझौते की प्रतीक्षा करने की रणनीति अपना रहा है।

दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। वॉशिंगटन भारत के कृषि और हाई-टेक सेक्टर में अधिक बाजार पहुंच चाहता है, वहीं भारत पेशेवरों की आवाजाही, डिजिटल व्यापार और डेटा प्रवाह पर स्पष्ट नियमों की मांग कर रहा है।

जयशंकर ने वैश्विक आर्थिक ढांचे में चीन की भूमिका पर भी चोट की। उन्होंने कहा, “चीन लंबे समय से अपने नियमों पर चलता आया है और आज भी वही कर रहा है, जिसके चलते वैश्विक व्यवस्था टुकड़ों में बंटी दिखाई देती है।” इसी अनिश्चितता के कारण कई देश अपनी रणनीतियों में हेजिंग अपना रहे हैं न तो पूरी तरह प्रतिस्पर्धा, न पूरी तरह सहयोग। उन्होंने कहा कि ऐसी वैश्विक अनिश्चितता, सप्लाई बाधाएं और भू-राजनीतिक खिंचाव देशों को सभी संभावित परिस्थितियों के लिए तैयारी करने को मजबूर करते हैं।

जयशंकर ने भारत की आत्मनिर्भरता और औद्योगिक क्षमता निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि “भारत तेज़ी से एक मजबूत विनिर्माण आधार बना रहा है, इंफ्रास्ट्रक्चर और वैज्ञानिक प्रगति में उछाल दिखा रहा है।  जब दुनिया के एक-तिहाई उत्पादन का केंद्र चीन में है, तब सप्लाई चेन की मजबूती अत्यंत आवश्यक हो जाती है, खासकर तब जब संघर्ष और जलवायु घटनाएं व्यवधान की आशंका बढ़ाती हैं।”

भारत परिवहन, ऊर्जा और बिजली जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खाइयों को भर रहा है। 2047 तक विकसित भारत की दिशा में बढ़ते हुए, जयशंकर ने कहा कि देश की विदेश नीति अब सक्रिय और लोगों-केंद्रित हो चुकी है। अंत में उन्होंने स्पष्ट किया, “भारत जैसा बड़ा राष्ट्र एक मजबूत औद्योगिक आधार के बिना नहीं चल सकता। सेमीकंडक्टर, ईवी, ड्रोन और बायोसाइंस जैसे उन्नत विनिर्माण क्षेत्रों को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है।”

जयशंकर के बयान स्पष्ट संकेत देते हैं कि वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत अब केवल आर्थिक समीकरणों से नहीं, बल्कि व्यापक रणनीतिक दृष्टि से अपनी राह तय करने के लिए तैयार है।

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