प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार (5 दिसंबर) को हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। राजघाट पर श्रद्धांजलि से लेकर औपचारिक स्वागत और उच्चस्तरीय वार्ताओं तक, पुतिन का दिल्ली दौरा रणनीतिक, आर्थिक और वैश्विक सहयोग को नए स्तर पर ले जाने पर केंद्रित रहा। संयुक्त प्रेस वार्ता में दोनों नेताओं ने 2024–2030 के संबंधों की दिशा तय करने वाली विजन 2030 स्ट्रैटेजिक रोडमैप का अनावरण किया और कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर गहन सहयोग की पुष्टि की।
भारत और रूस ने आर्थिक सहयोग की प्राथमिकताओं को परिभाषित करते हुए एक व्यापक रणनीतिक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। इसमें को-प्रोडक्शन, को-इनोवेशन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और व्यापार विस्तार को प्रमुख क्षेत्र बताया गया है।
दोनों नेताओं ने 2030 तक $100 अरब के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य दोहराया। रूस ने बताया कि पिछले वर्ष व्यापार 64 अरब डॉलर तक पहुँच गया, 12% की वृद्धि के साथ एक नया रिकॉर्ड हासिल हुआ। पुतिन ने कहा कि इस वर्ष भी व्यापार इसी स्तर पर रहेगा और इसे बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत–EAEU फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर प्रगति हो रही है, जिससे दवा, कृषि और उपभोक्ता उत्पादों में भारतीय निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
पुतिन ने कहा कि रूस भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने को तैयार है। परमाणु ऊर्जा, क्रिटिकल मिनरल्स और तेल–गैस सहयोग पर भी चर्चा हुई। राष्ट्रपति पुतिन ऊर्जा को दोनों देशों ने साझेदारी का मुख्य स्तंभ बताया।
दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस आतंकवाद के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं, और दोनों देशों के खिलाफ होने वाले हमलों के स्रोत समान हैं। उन्होंने इसके खिलाफ वैश्विक एकजुट कार्रवाई की आवश्यकता दोहराई। पुतिन ने भी आतंकवाद-विरोधी सहयोग को प्राथमिक बताया।
मोदी ने फिर स्पष्ट किया कि भारत न्यूट्रल नहीं, शांति के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाधान का समर्थन करता है। पुतिन ने उन्हें यूक्रेन के साथ संभावित समाधान पर रूस की नवीनतम पहलों की जानकारी दी।
वार्ता में सैन्य सहयोग, संयुक्त उत्पादन, अंतरिक्ष अन्वेषण, AI, जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों को मजबूती देने पर चर्चा हुई।
ये प्रयास भारत के Make in India लक्ष्यों के अनुरूप बताए गए। दोनों पक्ष कुशल और अर्ध-कुशल भारतीय कर्मचारियों को रूस में काम करने में मदद के लिए एक श्रमिक गतिशीलता समझौते पर काम कर रहे हैं।
UN, G20, SCO और BRICS सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करीबी समन्वय बढ़ाने पर सहमति बनी। पुतिन ने बताया कि भारत–रूस लेनदेन में 96% भुगतान राष्ट्रीय मुद्राओं में हो रहे हैं, जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच गहरी वित्तीय साझेदारी को दर्शाता है।
भारत और रूस के बीच यह संयुक्त बयान वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर दिया गया है, साथ ही व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और वैश्विक सहयोग में नए आयाम जोड़ते हुए आने वाले दशक के लिए एक मजबूत रणनीतिक दिशा भी तय होने के संकेत देता है।
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