BJP ने दक्षिण भारत के राज्यों में कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। पुद्दुचेरी में भाजपा के 12 विधायक जीते हैं, पर एक माह से कोई मंत्री नहीं बन सका है, विपक्षी डीएमके की कोशिश है कि भाजपा को मंत्रालय न मिले, वह महाराष्ट्र की तर्ज पर पुद्दुचेरी में राजनीति करना चाहती है. पुद्दुचेरी में एक महीने से नयी सरकार है, पर उसमें केवल मुख्यमंत्री ही हैं,इस केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में 30 सीटें हैं, NDA को पूर्ण बहुमत है, पर डीएमके भाजपा को सत्ता में आने से रोकने की राजनीति कर रही है. इसके छह विधायक हैं और एन रंगास्वामी कांग्रेस के 10 विधायकों के साथ बहुमत पूरा हो जाता है, तमिलनाडु में भाजपा के 4 विधायक हैं, वहां 2026 में चार से 40 होने का नारा भाजपा ने दिया है, डीएमके भाजपा के मुख्य प्रतिपक्ष होने से डरी हुई है, तमिलनाडु में डीएमके की कृपा से 18 सीटें मिली हैं, एमके स्टालिन को मुख्यमंत्री बने लगभग 30 दिन हो चुके हैं।
अखिल भारतीय सेवा के ऐसे कुल 300 अधिकारियों की बदली हुई है. उत्तर भारतीय अधिकारियों के साथ विशेष रूप से खराब व्यवहार हुआ है. हो सकता है कि ये अधिकारी पूर्ववर्ती सरकार के प्रति निष्ठावान रहे हों, यह राजनीति में आम बात है। तमिलनाडु में द्रविड़ गौरव का भाव प्रभावी है.अगले ढाई बरसों में भाजपा व मोदी के खिलाफ स्टालिन का राजनीतिक रूख क्या होगा? क्या वे ममता बनर्जी की तरह आक्रामकता दिखायेंगे या उनका व्यवहार नवीन पटनायक की तरह होगी? स्टालिन ने कहा था कि वे पदभार संभालने के बाद पहला हस्ताक्षर नीट परीक्षा स्थगित करने के आदेश पर करेंगे. पर इस पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है. डीएमके में परिवार का नियंत्रण व वर्चस्व है, जिसमें चार या पांच धड़े हैं,यूपीए सरकार में मंत्री रहे एमके अलागिरी हाशिये पर हैं और वे अपने भाई स्टालिन से बात नहीं करते हैं, मोदी ने तमिलनाडु की मदद की है. वे तमिल अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए श्रीलंका में जाफना की यात्रा कर चुके हैं, वे ही शिखर बैठक के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को महाबलीपुरम लेकर गये थे।