नई दिल्ली। भारत में टीकाकरण जोरों पर है।अब केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीद कर राज्यों को दे रहा है ताकि लोगों को तेज गति से टीका लगाया जा सके। इसके बावजूद पुरुष और महिलाओं में टीका का अनुपात विषम बना हुआ है। आकड़ों के अनुसार महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कम टीका लगवा रही हैं। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाएं 3 करोड़ खुराकों से पुरुषों से पीछे चल रही हैं। टीकाकरण अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 14.99 करोड़ महिलाओं को खुराक दी जा चुकी हैं, जो कि टीकाकरण अभियान का कुल 46 प्रतिशत है। वहीं पुरुषों को लगभग 17.8 करोड़ खुराक दी गई है, जो कुल टीकाकरण का 54 प्रतिशत है। भारत में अब तक अन्य लिंग वर्ग के 54,693 लोगों ने टीकाकरण प्राप्त किया है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने लिंग अंतर पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि टीकाकरण बूथ पर आने वाली महिलाओं का अनुपात टीका प्राप्त करने के लिए बढ़े ताकि लिंग में भी सुधार हो सके।”जब 16 जनवरी को भारत में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ, तो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीकाकरण के दायरे से बाहर रखा गया था। विशेषज्ञों के अनुसार इसे ही महिला-पुरुष के अनुपात के पीछे एक कारण समझा जा रहा है। टीकाकरण की शुरुआत में ऐसी कई अफवाहें फैलाई गई जिनमें कहा गया कि पीरियड के दौरान महिलाओं को कोविड -19 के टीके नहीं लेने चाहिए या यह कि टीके प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इन्ही अफवाहों के कारण महिलाएं टीका लगवाने नहीं पहुंच रही हैं।