विनाशकारी मूसलाधार बारिश के कहर से आई बाढ़ के भीषण संकट में घिरे समूचे महाराष्ट्र का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बीते सप्ताह बरपे इस कहर से रत्नागिरी, रायगढ़, ठाणे, पालघर, कोल्हापुर, सातारा, सांगली आदि क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। यहाँ के शहरी इलाकों समेत गांव-देहात तक कुछ दिन शब्दशः जलमग्न रहे। चिपलून जैसी कोंकण की बड़ी तहसील बाढ़ से बुरी तरह चरमरा गई। एसटी बसें बाढ़ के पानी में डूब गई थीं और उनकी छत पर आंखों में अपनी जान समेटे मदद की प्रतीक्षा में बैठे एसटी कर्मचारियों को देख इस आपदा की भयावहता व मानव की सीमाओं के दायरे का अंदाजा लगाते हुए रूह कांप उठती है। दिक्कतों का आलम यहीं खत्म नहीं होता, जगह-जगह भूस्खलन का भी संकट, जिसने कई निर्दोष जानें लील लीं। महाड़ के तलिए, सातारा के आंबेघर में हुए भूस्खलन के हादसों ने तो हाहाकार ही मचा दिया। महाराष्ट्र भर में इस दरमियान भूस्खलन की घटनाओं में 90 लोगों की मौत हुई।
मलबे में दबे उनके शव बाहर निकालते वक्त बचाव-राहत दल के लोगों की तक आंसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। इन हादसों में कइयों ने अपने नजदीकी नाते-रिश्तेदार हमेशा के लिए खो दिए। जीवन भर खप कर बसाया गृहस्थी का घरौंदा माटी में मिल गया। हरेक घर में कीचड़ ही कीचड़ मचा है। हर तरफ तबाही का मंजर। मकान, दुकानें सब बरबाद हो गए। कोरोना के चलते पहले ही लॉकडाउन ने मार रखा था, किसी तरह बचे-खुचे व्यवसाय के जरिए मिल रही टुटपुंजिया आमदनी की यह राह भी बाढ़ का प्रवाह अपने संग बहा ले गया। महाप्रलय के इन हालात में सरकारी मदद का इंतजार करते रहने के बजाय लोगों ने परस्पर एक-दूसरे के आंसू पोंछे, अपनी सहृदयता के साक्षात दर्शन कराए। अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार हरेक ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। ‘न्यूज डंका’ और ‘कारुलकर प्रतिष्ठान’ ने भी संकट की इस घड़ी में पीड़ितों को उबारने का बीड़ा उठाया है।
आधा सदी से ज्यादा समय से सामाजिक कार्यों में समर्पित
कारुलकर प्रतिष्ठान संस्था बीते 53 साल से सामाजिक कार्यों में अनवरत सक्रिय है। ठाणे, पालघर जिले के आदिवासी क्षेत्रों में उसने स्कूल, बुनियादी सुविधाएँ, नौकरियां मुहैया करा लोगों को जीने का आधार प्रदान किया है। यह सामाजिक कार्य अब महाराष्ट्र की सीमा लांघ विराट रूप में गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश आदि विविध राज्यों तक भी जा पहुंचा है। कोरोना के संकटकाल में भी कारुलकर प्रतिष्ठान ने अत्यंत उल्लेखनीय भूमिका अदा की। संस्था ने अब महाराष्ट्र के बाढ़-पीड़ितों को भी मदद के हाथ से थामे का निश्चय किया है।
हरेक के योगदान की आवश्यकता
कारुलकर प्रतिष्ठान के प्रमुख प्रशांत कारुलकर का कहना कि प्रतिष्ठान ने इन सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा खुद की कमाई के हिस्से का इस्तेमाल किया है। खुद की जेब से खर्च कर आपदाग्रस्तों को आधार दिया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि इस बार का संकट इतना बड़ा है कि इसमें हरेक व्यक्ति के योगदान की आवश्यकता है।
दानदाताओं को कर में छूट
‘न्यूज डंका’ के सभी पत्रकार सहयोगियों व ‘कारुलकर प्रतिष्ठान’ के कार्यकर्ताओं ने बाढ़पीड़ितों के सहायतार्थ अपने वेतन का कुछ हिस्सा देना तय किया है। इस कार्य में आप भी सहभागी होकर स्वेच्छा से योगदान कर सकते हैं। नीचे दिए एकाउंट नंबर पर आप अपनी मदद-राशि भेज सकते हैं। दानदाताओं के लिए 80G के अंतर्गत कर में छूट प्रदान की गई है।
Account Name :- Karulkar Pratisthan
A/c no :- 010220110001040
Bank :- Bank of India
Branch :- IGIDR Goregaon East
IFSC code :- BKID0000102