ठाणे। ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिले में शहरों से सटे गांवों का कोई नियोजन हुए बगैर वहाँ बेतहाशा हो रहा नागरीकरण भी बाढ़ का खतरा बढ़ाने की महत्वपूर्ण वजह है। लिहाजा, इस पर उपाय के तौर पर सरकार के पास कुछ मौजूदा मनपाओं के सीमा-क्षेत्र में विस्तार व नई नपाएं बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। एमएमआरडीए के हाल ही में जारी हुए प्रारूप मे इसका उल्लेख है।
अंबरनाथ-बदलापुर मनपा बनेगी: ठाणे, रायगड व पालघर जिले के कुछेक हिस्सों का शुमार मुंबई-प्रभावित क्षेत्र में हुआ करता है, लेकिन इन तीनों जिलों के अमूमन शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों का समावेश मुंबई महानगर प्रदेश प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के अधिकार क्षेत्र में है। करीब बीते 3 दशकों से इस बेल्ट में तेजी से नागरीकरण हो रहा है। हालाँकि 80 के दशक में राज्य के नगरविकास विभाग ने इस संदर्भ में गौर करते हुए 1982 में ठाणे मनपा की स्थापना की। इसके बाद कल्याण-डोंबिवली, नवी मुंबई, मीरा-भाईंदर, भिवंडी-निजामपुर, उल्हासनगर व वसई-विरार मनपाओं की भी स्थापना हुई। हाल ही में पनवेल मनपा भी बन गई और अब अंबरनाथ व बदलापुर इन पड़ोसी शहरों समेत उनसे सटे कुछ गांवों को मिलाकर एक नई मनपा बनाया जाना भी प्रारूप में प्रस्तावित है।
नवी मुंबई में बनेगी अलग से एक नपा: कल्याण-डोंबिवली मनपा उसमें समाविष्ट किए गए शहरों व गांवों को लेकर आरंभ से ही विवादों में घिरी रही है। प्रखर विरोध होने के कारण ही अंबरनाथ व बदलापुर शहरों को मनपा से दरकिनार रखा गया। इसके बाद कल्याण तहसील के 27 गांवों ने इस मनपा से अलग होने के लिए जमकर संघर्ष किया, यह आंदोलन अब भी जारी है। बावजूद इसके नए प्रारूप में नवी मुंबई, वसई विरार, भिवंडी-निजामपुर सहित कल्याण-डोंबिवली मनपा के सीमा क्षेत्र का विस्तारीकरण प्रस्तावित है। नवी मुंबई मनपा में शामिल होने पर एकदम शुरुआत से ही विरोधी तेवर में रहे 14 गांवों के लिए अलग से नगरपालिका बनाए जाने की योजना है।
रायगढ़ में भी नई नपाई प्रस्तावित: ठाणे की तरह रायगढ़ जिले में भी बड़े पैमाने पर नागरीकरण हो रहा होने से नियोजन प्रारूप में उसे भी दर्ज किया गया है। मध्य रेलवे के जरिए मुंबई-ठाणे आवाजाही करना आसान होने की वजह से कर्जत तहसील के नेरल-ममदापुर, मोहपाड़ा व अलीबाग तहसील के पोयनाड-आंबेपुर गांवों में नई नपा प्रस्तावित है। इसी तरह कर्जत, पेण व अलीबाग नपाओं के सीमा क्षेत्र विस्तार का भी इस प्रारूप में उल्लेख है।