काबुल। भारत जब अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकाल रहा था,उस समय तीन सेना के डॉग्स भी रेस्क्यू कर लाये गए थे। जिसकी बहुत सराहना हुई थी, लेकिन इधर अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपने हथियार और सैन्य वहां छोड़कर चले गए हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिका अपने सर्विस डॉग्स भी छोड़ गए हैं। जिसकी दुनिया भर में घोर आलोचना हो रही है। अब खबर आ रही है कि जानवरों के लिए काम करने वाली एक संस्था वेटरन शीपडॉग्स ऑफ़ अमेरिका ने इन डॉग्स को रेस्क्यू करने के लिए काम कर रहा है।
पशु कल्याण समूह अमेरिकन ह्यूमेन के अध्यक्ष और सीईओ रॉबिन आर गैंजर्ट ने कहा, ये बहादुर कुत्ते सैनिकों की तरह की खतरनाक काम करते हैं, जिंदगियां बचाने का काम करते हैं। उन्हें इस तरह छोड़ना निंदनीय है। उन्हें बेहतर सेवाएं मिलना चाहिए। हम आलसी होकर नहीं बैठ सकते, क्योंकि इन कुत्तों ने बहादुरी से हमारे देश की सेवा की है। पूरे मामले में भारत की एक बार फिर तारीफ हो रही है। दरअसल, ऐसे ही तीन इंडियन सर्विस डॉग्स काबुल में भारतीय दूतावास में तैनात थे।
उनके नाम थे माया, रूबी और बॉबी। अच्छी बात यह रही कि भारत ने जब वहां तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) कर्मियों को भारतीय वायु सेना की मदद से रेस्क्यु किया, तब इन डॉग्स को भी भारत ले आए थे। अमेरिका अपने आखिरी सैनिक को लेकर काबुल से रवाना हो गया हो, लेकिन अब भी 100 से 200 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यह जानकारी दी है।
उनके नाम थे माया, रूबी और बॉबी। अच्छी बात यह रही कि भारत ने जब वहां तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) कर्मियों को भारतीय वायु सेना की मदद से रेस्क्यु किया, तब इन डॉग्स को भी भारत ले आए थे। अमेरिका अपने आखिरी सैनिक को लेकर काबुल से रवाना हो गया हो, लेकिन अब भी 100 से 200 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यह जानकारी दी है।