मुंबई। भारत में बीते कुछ बरसों के भीतर एअर पॉल्युशन सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा है, जिससे नई-नई बीमारियां तो पनप ही रही हैं, हमारी उम्र भी घट रही है। घटिया दर्जे की प्राणवायु मिलने की वजह से उत्तर भारत में लोगों की उम्र 9 साल तक कम हो सकने का सर्वे सामने आया है।
महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश भी अछूते नहीं
शिकागो यूनिवर्सिटी के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के सर्वे के मुताबिक भारत में 48 करोड़ यानी कुल जनसंख्या के करीब 40 प्रतिशत लोग गंगा के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं, जहां प्रदूषण का स्तर बेहद ज्यादा है और इस वजह से इनकी लाइफ 9 साल तक घट सकती है। यह प्रदूषण अब तेजी से गंगा के तराई वाले क्षेत्रों से आगे मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी फैल रहा है, जहां घटिया प्राणवायु के चलते लोगों की उम्र 2.5 से 2.9 साल कम होने का खतरा है।
WHO के मानकों से 7 गुना ज्यादा
इस सर्वे के अनुसार, प्रदूषण के अनुमानित प्रभावों की तीव्रता उत्तर भारत में सबसे ज्यादा है। यह वह इलाका है, जहां वायु प्रदूषण का स्तर दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक है। अगर वर्ष 2019 के जैसा प्रदूषण स्तर बना रहता है, तो इन इलाकों में रहने वाले लोगों की उम्र 9 साल कम हो सकती है। 2019 में उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर चरम पर था। 2019 में भारत का औसत पार्टिकुलेट मैटर कंसंट्रेशन 70.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो WHO के दिशानिर्देशों से 7 गुना ज्यादा है।