माता रानी के भक्तों को शारदीय नवरात्रि का इंतजार है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और माता रानी की कृपा से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
इस साल शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर, दिन गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं, जो कि दशमी तिथि 15 अक्टूबर से समाप्त होंगे। शारदीय नवरात्रि को शरद नवरात्रि भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना की जाती है। नवरात्रि पर कलश स्थापना 07 अक्टूबर, गुरुवार के दिन किया जाएगा। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के त्योहार की विधि-विधान के साथ शुरुआत मानी जाती है। इस साल मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आएंगी। देवी भाग्वत पुराण के अनुसार, नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो इसका अर्थ है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व पर सवार होकर आती हैं। जब नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से प्रारंभ होते हैं तो इसका अर्थ है कि माता डोली पर सवार होकर आएंगी। इस साल नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं।
7 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक का है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में घटस्थापना शुभ फलदायी होती है।
7 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा
8 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
9 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा
10 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा
11 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा
12 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा
13 अक्टूबर- मां महागौरी की पूजा
14 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा
15 अक्टूबर- दशमी तिथि विजयादशमी या दशहरा