भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ब्रिटेन को खरी खरी सुनाया है। लंदन में खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस को पंजाब के विलय पर किये गए जनमत संग्रह कराने अड़े हाथों लिया। हालांकि यह जनमत संग्रह विफल लेकिन अजित डोभाल ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपने ब्रिटिश समकक्ष स्टीफन लवग्रोव के सामने इस आपत्ति जताई है।
3 नवंबर को लंदन में द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता के दौरान ब्रिटेन को भारतीय पक्ष से अवगत कराया गया। बताया जा रहा है कि भारत ने यह साफ किया कि पंजाब में पूरी तरह शांति है और कट्टरवादी तत्वों को हर पांच साल में होने वाले विधानसभा या लोकसभा चुनावों में 1 फीसदी वोट भी नहीं मिलता है। मोदी सरकार ने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की कि प्रतिबंधित सिख संगठनों की ओर से चलाए जा रहे अलगाववादी अजेंडे पर ब्रिटेन सरकार आंखें मूंद लेती है।पाकिस्तानी तत्वों के प्रभाव और समर्थन से कट्टरपंथी सिख संगठन ब्रिटेन में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।
एसएफजे 2019 से भारत में प्रतिबंधित संगठन है और इसके नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकवादी घोषित किए जा चुका है। इसके बावजूद यूके ने यूएस-आधारित चरमपंथी संगठन को भारतीय पंजाब पर एक अवैध जनमत संग्रह कराने की अनुमति दी। यूरोपीय देशों जैसे फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड्स के साथ भारत के करीबी संबंध हैं, लेकिन यूके के साथ रिश्ता अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कश्मीर और तथाकथित खालिस्तान मुद्दे पर लंदन की भूमिका की वजह से पटरी से उतर चुका है।
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