केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस क्या लिया, मीडिया, सोशल मीडिया ने मोदी सरकार को ‘झुका’ और ‘यू टर्न’ करा दिया। लेकिन, यह सभी जानते हैं कि भाजपा कभी कच्ची गोटी नहीं खेलती। भले केंद्र सरकार ने विवादित तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हो, लेकिन, इसके साथ एक नई घोषणा भी की। अब देखिये आगे-आगे होता है क्या ? आंदोलन कर रहे किसान अपनी जीत पर खुशियां मना रहे होंगे। किलो भर घी में रोटी डुबोकर खाने वाले किसान अब ‘हिंसा’ नहीं करेंगे। सभी जानते हैं, आगे क्या होने वाला है। लेकिन, उसका क्या परिणाम होगा, इसका ट्रेलर कुछ माह बाद,आसमान पर छाये धुंध की तरह साफ हो जाएंगे। बस इंतजार करिये।
और राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेसी वो नेता जो यह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के कारण बीजेपी, केंद्र सरकार या मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लिया है तो इस गलतफहमी में कांग्रेस और अकाली दल और आप पार्टी न रहे । अब इन दल के नेताओं को अपनी छाती पिटनी चाहिए कि बैठे बैठाया उनके हाथों एक बड़ा मुद्दा छीन लिया गया। अब वह एक बार फिर मुद्दाविहीन हो गए। अब यह मानकर चलें कि पंजाब में अगली सरकार बीजेपी समर्थित ही होगी और यूपी का चुनावी किला ढह गया है। बस, एक तरह से अब औपचारिकता ही रह गई है।
बीजेपी के विरोधी नागरिकता कानून लागू होने के बाद हुए आंदोलन को याद करें। उस तरह इस कानून के पास होने पर हिंसा भी नहीं हुई, हुई लेकिन, किसानों के आंदोलनों में दो फाड़ होते रहे।इस आंदोलन में भी बुजुर्ग पुरुष, महिलाएं, बच्चे शामिल हुए, नागरिकता कानून जैसा ‘तांडव’ नहीं रहा। इसके बावजूद सरकार ने इसे वापस नहीं लिया। क्यों ? खुद भी दिमाग लगाए जनाब! जो जीता वही सिकंदर, यहां किसान सिकंदर नहीं बन पाए बल्कि मोदी सरकार सिकंदर बनकर उभरी है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि किसानों को हम समझाने में नाकाम रहे। पीएम मोदी की नीयत पर शक करना खुद पर शक करने जैसी बात होगी। बात है, जिसके लिए यह कानून बनाया गया था वह ही लाभ नहीं ले पाया तो उसे सरकार लागू कर क्या करेगी। इससे अच्छा है कि इसे वापस ही ले लिया जाए। अपना ही फायदा हो जाए।