1944 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से गैर हिंदी भाषी क्षेत्र में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मुंबई हिंदी सभा की स्थापना हुई थी। इस अवसर पर मुंबई हिंदी सभा के कुलपति और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री छगन भुजबल, केंद्रीय हिंदी निदेशालय के उप निदेशक राकेश शर्मा, पत्रकार वर्षा सोलंकी, सभा के कुलपति विजय परदेशी, महासचिव सूर्यकांत नागवेकर और कोषाध्यक्ष देवदत्त साल्वी उपस्थित थे।
हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में गैर-हिन्दी भाषियों का योगदान महान
राज्यपाल श्री कोश्यारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद बंगाली भाषी होने के बावजूद शिकागो में उत्कृष्ट अंग्रेजी बोलते थे और अल्मोडा आने पर हिंदी में लोगों से बात करते थे। महर्षि दयानंद ने भी हिंदी भाषा में काम करना शुरू किया। राज्यपाल ने कहा कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में गैर-हिंदी भाषियों का योगदान कई गुना अधिक है। साथ ही देश को एकजुट करने के लिए महात्मा गांधी का हिंदुस्तानी भाषा का पुरस्कार उनकी दूरदृष्टि का प्रतिबिंब था। राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोली जानी चाहिए, लेकिन अगर मराठी नहीं आ रही है तो हिंदी बोली जानी चाहिए।
हिंदी लोगों को जोड़ने वाली भाषा है: छगन भुजबल
मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो विभाजनकारी नहीं बल्कि लोगों को जोड़ने वाली भाषा है। हिंदी भाषा के कारण हम उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों के लोगों के साथ आसानी से संवाद कर सकते हैं। भुजबल ने कहा कि अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद और अन्य लेखकों ने हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने में योगदान दिया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हिंदी भाषा का प्रसार पूरे देश में होगा और देश को एकजुट करेगा।
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