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Monday, November 25, 2024
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सत्ता पक्ष की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण संबंधी रिपोर्ट नकारी

विधानसभा में भाजपा नेता ठाकरे सरकार पर बरसे 

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भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने शुक्रवार को विधानसभा व विधान परिषद में महाराष्ट्र सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के लिए कोटा सुरक्षित करने में विफल रही है। सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच खींचतान के चलते सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। विधान सभा में  विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने स्थगन नोटिस के माध्यम से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की कि इस मुद्दे को चर्चा के लिए लिया जाए और बाकी कामकाज को दरकिनार कर दिया जाए।

उन्होंने कहा कि जब तक ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण बहाल नहीं हो जाता, तब तक राज्य में स्थानीय निकायों का चुनाव नहीं होना चाहिए। फडणवीस ने आयोग की उस अंतरिम रिपोर्ट को ‘मजाक’ करार दिया, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट में इसकी कोई तारीख नहीं है कि डेटा कब एकत्र किया गया और इसमें कोई हस्ताक्षर नहीं है। राज्य के वकील यह बताने में विफल रहे कि किस आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है।’’ उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में राज्य के दो तिहाई स्थानीय निकायों में मतदान होना है और अगर बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव हुए तो समुदाय को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।

फडणवीस ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में जो हुआ वह महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक था।’’ उन्होंने मांग की कि राज्य एक कानून बनाए, जो उसे स्थानीय निकाय चुनावों की तारीखें तय करने की अनुमति दे। महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री एवं वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने स्वीकार किया कि रिपोर्ट में कुछ तकनीकी गलतियां हो सकती हैं, क्योंकि इसे जल्दबाजी में संकलित किया गया था। उन्होंने कहा कि 2010 में, शीर्ष अदालत ने ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन की जानकारी के बारे में अनुभवजन्य आंकड़ों को संकलित करने का निर्देश दिया था।

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने कहा, “स्थानीय निकायों में ओबीसी को राजनीतिक कोटा सुरक्षित करने में राज्य सरकार विफल रही है। हम सरकार के इस हालिया आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं कि इस कोटे को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”   इससे पहले उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने सदन को सूचित किया था कि महा विकास आघाडी सरकार मध्य प्रदेश के मॉडल पर चलेगी और स्थानीय निकाय के चुनावों को स्थगित करने के लिए कानूनी कदम उठाएगी।

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